कार चलाने के शौकीन हैं? CC, BHP, RPM का मतलब जानते हैं आप?
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कार खरीदते वक्त अक्सर लोग गाड़ी के एवरेज, माइलेज के साथ सीसी सीसी, टॉर्क, बीएचपी, आरपीएम जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं. ये सभी शब्द इंजन की ताकत को समझने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. हालांकि, गाड़ियों में इनका क्या रोल है इस बारे में बेहद कम लोग ही जानते हैं.
CC, Torque, BHP, RPM: कभी वक्त था, जब कार खरीदते वक्त लोग सबसे ज्यादा तरजीह उसकी माइलेज या कीमत को देते थे. अब कार के शौकीन पावर, लुक, फीचर्स और बाकी स्पेसिफिकेशंस को लेकर भी बेहद सजग हो गए हैं. हालांकि, कार के सबसे अहम हिस्से यानी उसके इंजन पर लोग कम ही बातें करते हैं. इंजन की ताकत को समझने के लिए कुछ प्रचलित शब्दावली मसलन- सीसी, बीएचपी, आरपीएम, टॉर्क आदि का इस्तेमाल होता है. हालांकि, इनका मतलब क्या है और ये किस तरह कार की क्षमता को प्रभावित करते हैं, इसके बारे में कम लोग ही जानते हैं. गाड़ी में पावर जनरेट करने के लिए सीसी, टॉर्क, बीएचपी, आरपीएम आदि का एक अहम रोल है. आइए, इनके बारे में समझने की कोशिश करते हैं.
CC का क्या मतलब है कार या बाइक के इंजन का साइज सीसी या क्यूबिक कैपेसिटी (Cubic capicity) से मापी जाती है. इंजन की CC जितनी ज्यादा होगी, उसका सिलिंडर भी उतना ही बड़ा होगा. नॉर्मल गाड़ियों के मुकाबले ज्यादा CC वाले व्हीकल्स में ईंधन और हवा को कंज्यूम करने की क्षमता ज्यादा होती है. ये गाड़ियां ज्यादा पावर जनरेट करती हैं. इसका परिणाम बढ़े हुए टॉर्क और BHP के रूप में दिखाई देता है. यही वजह है ज्यादा सीसी क्षमता वाली गाड़ियां एक्सीलेरेटर दबाते ही ज्यादा तेजी से रफ्तार पकड़ लेती हैं. उदाहरण के तौर स्पोर्ट्स कार चलाने के शौकीन लोग ज्यादा CC की गाड़ियां पसंद करते हैं. आपने ध्यान दिया होगा कि फॉर्मूला वन रेसिंग के दौरान उपयोग की जाने वाली कारें तुरंत रफ्तार पकड़ती हैं. हालांकि, ज्यादा सीसी वाली गाड़ियों के इंजन में ईंधन की खपत भी ज्यादा होती है, इसलिए इन गाड़ियों की माइलेज सामान्य गाड़ियों के मुकाबले कम होती है. ध्यान रखें अगर आप ज्यादा माइलेज की गाड़ियां चाहते हैं तो कम सीसी की गाड़ियों को ही तरजीह दें.
टॉर्क का समझें अर्थ टॉर्क का मतलब ट्विस्टिंग फोर्स. फिजिक्स के हिसाब से समझें तो इस फोर्स का काम किसी वस्तु को मोड़ने या घुमाने के लिए होने वाले बल के इस्तेमाल से है. टॉर्क के आंकड़ों के जरिए आप ये बता सकते हैं कि इंजन में कार का वजन खींचने की कितनी शक्ति है. दरअसल गाड़ी स्टार्ट करने के बाद एक्सिलेरेट करते वक्त एक फोर्स जनरेट होता है. इस फोर्स की मदद से ही इंजन गाड़ी को खींच पाती है. इस दौरान जो हल्का सा झटका महसूस होता है, उसे ही टॉर्क स्पीड कहा जाता है. भारी गाड़ियों को रफ्तार देने के लिए ज्यादा टॉर्क की जरूरत पड़ती है. उदाहरण के तौर पर छोटी गाड़ियां कम टॉर्क में ही अपने इंजन की क्षमता के मुताबिक आसानी से रफ्तार पकड़ लेती हैं. हालांकि, SUV जैसी भारी गाड़ियों को रफ्तार पकड़ने के लिए ज्यादा फोर्स की जरूरत पड़ती है. इसी फोर्स को टॉर्क कहते हैं जिसे न्यूटन मीटर (nm) में कैलकुलेट किया जाता है. माना जाता है कि पेट्रोल इंजन वाली गाड़ियां डीजल के मुकाबले कम टॉर्क क्रिएट करती हैं, यही वजह है कि बड़ी और भारी गाड़ियों में डीजल इंजन को तरजीह दी जाती है.
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