इस्लामिक स्टेट की पूर्व 'जिहादी दुल्हन' शमीमा बेगम ने आतंकवाद से लड़ने में मदद की पेशकश की
BBC
इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए 15 साल की उम्र में लंदन छोड़ने वाली शमीमा बेगम अब 22 साल की हो चुकी हैं. उनका कहना है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में वो काम आ सकती हैं.
इस्लामिक स्टेट की 'जिहादी दुल्हन' रह चुकीं शमीमा बेगम ने कहा है कि उन्हें इस आतंकी संगठन में शामिल होने का जीवन भर पछतावा रहेगा. हालांकि उनका अब कहना है कि वो आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में ब्रिटेन की मदद करना चाहती हैं.
उन्होंने बीबीसी से कहा है कि वो "समाज के लिए उपयोगी" साबित हो सकती है और उन्हें सीरिया के राहत शिविर में "सड़ने" देना बेकार है.
22 साल की शमीमा पर कथित इस्लामिक चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप है. हालांकि वो इससे इनकार करती हैं. ब्रिटेन के तब के गृहमंत्री साजिद जावेद ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर शमीमा बेगम से ब्रिटेन की उनकी नागरिकता छीन ली थी. जावेद अब भी अपने उस फ़ैसले पर क़ायम हैं.
इससे पहले, 15 साल की किशोर उम्र में शमीमा बेगम पूर्वी लंदन की दो अन्य स्कूली छात्राओं के साथ ब्रिटेन छोड़कर सीरिया चली गई थीं. वहां जाकर वो सब आईएस में शामिल हो गई थीं. वो बांग्लादेशी मूल की ब्रितानी नागरिक हैं.
वहां, उन्होंने एक डच आतंकी से शादी कर ली और तीन साल से ज़्यादा समय तक आईएस के शासन में रहीं. 2019 में, सीरिया के एक शरणार्थी शिविर में वो नौ महीने की गर्भवती के रूप में मिलीं. बाद में उनके बच्चे की निमोनिया से मौत हो गई. शमीमा ने बताया कि वो इससे पहले दो और बच्चे खो चुकी हैं.