'आदिपुरुष' से नेपाल की कोर्ट ने हटाया बैन, काठमांडू मेयर बोले- भारत की गुलाम बन गई सरकार और अदालतें
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नेपाल की पाटन हाई कोर्ट ने भारतीय फिल्मों पर लगे बैन को हटा लिया है. इसको लेकर काठमांडू के मेयर अपनी ही सरकार और अदालतें पर भड़क गए. उन्होंने कहा कि सरकार और अदालतें भारत की गुलाम बन गई हैं. अगर नेपाल की संप्रभुता और स्वतंत्रता के खिलाफ सवाल उठाए जाएंगे तो मैं किसी भी कानून या अदालत का पालन नहीं करूंगा.
नेपाल की राजधानी काठमांडू के मेयर ने भारतीय फिल्म 'आदिपुरुष' की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद सिनेमा हॉल मालिकों के संगठन ने पाटन हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी कर अधिकारियों से सेंसर बोर्ड द्वारा पारित किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग में हस्तक्षेप नहीं करने को कहा है.
जस्टिस धीर बहादुर चंद की सिंगल बेंच ने गुरुवार को आदेश दिया कि सेंसर बोर्ड से पारित हो चुकी फिल्मों की स्क्रीनिंग पर रोक नहीं लगाई जाएगी. नेपाल मोशन पिक्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष भास्कर धुंगाना के मुताबिक, याचिकाकर्ता अदालत के लिखित आदेश का इंतजार कर रहे हैं.
कोर्ट ने अपने आदेश में काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के 18 जून के फैसले को अमान्य कर दिया है, जिसके बाद 'आदिपुरुष' फिल्म की स्क्रीनिंग करने का रास्ता साफ हो गया है. इस बीच काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि जब नेपाल की संप्रभुता और स्वतंत्रता की बात आएगी तो वह किसी भी कानून या अदालत के आदेश का पालन नहीं करेंगे.
काठमांडू के मेयर ने फेसबुक पर लिखा, "अगर नेपाल की संप्रभुता और स्वतंत्रता के खिलाफ सवाल उठाए जाएंगे तो मैं किसी भी कानून या अदालत का पालन नहीं करूंगा.''
अदालत के फैसले से नाराज शाह ने कहा कि अदालत और सरकार भारत के 'गुलाम' बन गए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, "आदिपुरुष फिल्म की स्क्रीनिंग की इजाजत देना स्पष्ट रूप से दिखाता है कि नेपाल भारत के पक्ष में फैसला ले रहा है. यहां की सरकार और अदालत भारत के गुलाम बन गए हैं. चाहे कुछ भी हो जाए, वह फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं होने देंगे. इसके लिए मैं कोई भी परिणाम भुगतने को तैयार हूं."