अर्दोआन गरजकर बरसे क्यों नहीं? पीछे खींचे अपने क़दम
BBC
शनिवार को तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने जब यह घोषणा की थी तो लगा कि उन्होंने बहुत बड़ा फ़ैसला ले लिया है. लेकिन उनका विदेश मंत्रालय ही इस बात से बहुत सहमत नहीं था.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने पिछले हफ़्ते जब अमेरिका समेत 10 देशों के राजदूतों को निष्कासित करने की घोषणा की थी तो इसे बहुत बड़े फ़ैसले के तौर पर देखा गया था.
कहा जा रहा था कि अर्दोआन ने टकराव का रास्ता चुना है और यह बैकफ़ायर करेगा. अर्दोआन ने अपने विदेश मंत्रालय को आदेश दिया था कि वो दसों देशों के राजदूतों को जल्दी वापस भेजे. लेकिन तुर्की का विदेश मंत्रालय कोई बीच का रास्ता निकालने में लगा था.
अर्दोआन ने कहा था कि अमेरिका, जर्मनी, फ़्रांस और सात अन्य यूरोपीय देशों ने तुर्की के एक्टिविस्ट ओस्मान कवाला को जेल से रिहा करने को लेकर संयुक्त बयान जारी कर तुर्की का अपमान किया है.
लेकिन अब तुर्की का कहना है कि इन 10 देशों ने राजनयिक संबंधों में वियना कन्वेंशन को लेकर सार्वजनिक रूप से प्रतिबद्धता जताई है. इसलिए अब निष्कासन का फ़ैसला वापस लिया जाता है.
तुर्की अमेरिका और यूरोप से अपने संबंधों को लेकर सबसे बुरे दौर में है और उसकी मुद्रा लीरा भी लगातार लुढ़कती जा रही है. इसी बीच अर्दोआन ने 10 देशों के राजदूतों के बाहर करने की घोषणा की थी और इसे तुर्की के राष्ट्रवाद से जोड़ दिया था.