अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का शासन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर कैसे असर डालेगा?
BBC
तालिबान के काबुल पर क़ब्ज़े की ख़बर आते ही पाकिस्तान के शेयर बाज़ार में 400 अंक की गिरावट आई थी. आनेवाले समय में मुल्क की अर्थव्यवस्था कैसे प्रभावित हो सकती है.
तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद से इस क्षेत्र में नए हालात पैदा हो गए हैं. एक पड़ोसी देश होने के नाते पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान में हो रहे बदलावों से सीधे तौर पर प्रभावित है. पाकिस्तान में अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल है कि ये हालात स्थिर होने के लिए संघर्ष कर रही पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकते हैं.2020 पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए पिछले सत्तर सालों में सबसे ख़राब साल था. लेकिन 30 जून, 2021 को समाप्त हुए पिछले वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था कुछ हद तक स्थिर होती दिखी.एक तरफ़ जहां पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था आईएमएफ़ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) के कार्यक्रम की शर्तों के तहत वित्तीय अनुशासन और शर्तों से बंधी हुई है, वहीं दूसरी ओर विदेशी निवेश का रुझान बहुत कम रहा है.पाकिस्तान में जो निवेश शेयर बाज़ार और सरकारी प्रतिभूतियों में आता है, उसमें पिछले कई हफ़्तों से काफ़ी गिरावट आई है. अकेले जुलाई महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो जून में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के आगे बढ़ने और पूरे क्षेत्र पर इसके प्रभाव के कारण पाकिस्तान के निवेश बांड में कोई विदेशी निवेश नहीं हुआ है. पूंजी बाज़ार की प्रतिक्रियाआर्थिक और वित्तीय विशेषज्ञ पाकिस्तान के व्यापारिक समुदाय को अब अफ़ग़ानिस्तान में बदलती स्थिति पर 'देखें और प्रतीक्षा करें' का सुझाव देते हैं.पर पाकिस्तान के वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाज़ार ने तालिबान के काबुल पर तत्काल क़ब्ज़े पर बहुत नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है. हालांकि एक दिन इसमें सुधार भी देखा गया. विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह ये है कि काबुल बिना किसी हिंसक संघर्ष के ही तालिबान के नियंत्रण में आ गया.अर्थशास्त्रियों के अनुसार, 'अफ़ग़ानिस्तान में अब तक बड़े पैमाने पर रक्तपात और गृहयुद्ध का न होना पाकिस्तान और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है.'हालांकि, पाकिस्तान के आर्थिक और वित्तीय जगत से जुड़े लोग क्षेत्रीय स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं कि भविष्य में क्या होगा. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की अभी क्या स्थिति है?More Related News