
Russia-Ukraine Crisis: दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक प्रयोग से रूस को किया गया बाहर
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रूस (Russia) द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले से दुनिया के कई देश और संस्थाएं नाराज हैं. गॉड पार्टिकल (God Particle) यानी हिग्स बोसोन वाली प्रयोगशाला CERN ने रूस के साथ सारे समझौते खत्म कर दिए हैं. लैब ने यह फैसला रूसी हमले के 13वें दिन लिया है.
द यूरोपियन काउंसिल फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) ने घोषणा की है कि वो रूस (Russia) के साथ भविष्य के सारे समझौते फिलहाल के लिए रोक रहा है. साथ ही रूस को ऑब्जर्वर के पद से हटा दिया है. इसके अलावा सभी रूसी वैज्ञानिक संस्थानों के साथ नए समझौतों को रोक रहा है. क्योंकि यूक्रेन में रूसी सेना ने हमला कर दिया है. (फोटोः एपी)
CERN फैसिलिटी में रूसी वैज्ञानिकों को प्रतिबंधित करने के लिए शुरुआती वोट कम पड़े लेकिन बाद में यूक्रेनियन वैज्ञानिकों (Ukrainian Scientists) के विरोध पर यह फैसला लिया गया. साथ ही CERN प्रबंधन ने यह निर्णय भी लिया है कि वह यूक्रेन के वैज्ञानिकों को अपने ज्यादा से ज्यादा प्रोजेक्ट्स में शामिल करेगा. उन्हें सपोर्ट करेगा और हाई एनर्जी फिजिक्स से जुड़े प्रयोगों में जोड़ेगा. (फोटोः गेटी)
CERN ही लार्ज हैड्रन कोलाइडर (Large Hadron Collider) को संचालित करता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा एटम स्मैशर है. इसी फैसिलिटी ने साल 2012 में हिग्स बोसोन (Higgs Boson) की खोज की थी. इस प्रयोग में दुनिया भर के 23 देश शामिल है. सात एसोसिएटेड सदस्य हैं. यूक्रेन इसमें बाद में जुड़ा. वह फैसिलिटी को फीस देता है. जबकि रूस की पोजिशन अमेरिका की तरह ऑब्जर्वर की तरह है. उसे किसी तरह की फीस नहीं देनी होती. (फोटोः एपी)
CERN में कुल मिलाकर दुनियाभर के 12 हजार वैज्ञानिक काम करते हैं. जिसमें से रूस के करीब 1000 वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. यानी करीब 8 फीसदी. CERN काउंसिल ने एक बैठक के बाद बयान जारी करते हुए कहा है कि हमारे 23 भागीदार सदस्यों ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है. यह इंसानियत के खिलाफ की गई कार्रवाई है. इससे लोगों की जिंदगी खत्म हो रही है. (फोटोः गेटी)
प्रयोगशाला काउंसिल ने कहा कि CERN प्रबंधन, उसके कर्मचारी और सभी अन्य देशों के वैज्ञानिक यूक्रेन की मदद के लिए काम करेंगे. वहां के लोगों की मदद करेंगे. साथ ही इस प्रयोगशाला में मौजूद यूक्रेन के सभी वैज्ञानिकों को पूरा सपोर्ट किया जाएगा. CERN द्वारा लिया गया यह फैसला अब यह तय करेगा कि दुनियाभर में और कई बड़े साइंटिफिक प्रोजेक्ट्स से रूस को बाहर किया जा सकता है. या फिर वो खुद बाहर हो सकता है. (फोटोः गेटी)
CERN की स्थापना साल 1954 में यूरोपियन, अमेरिकन और रूसी वैज्ञानिकों ने मिलकर किया था. इस फैसिलिटी ने शीत युद्ध (Cold War) के समय भी बेहतरीन तरीके से काम किया था. इस प्रयोगशाला ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं. 1962 में क्यूबन मिसाइल संकट, 1968 में सोवियत संघ द्वारा प्राग स्प्रिंग को रोकना, 1979 में अफगानिस्तान में रूसी सैनिकों की घुसपैठ आदि. लेकिन इतने समय तक इस प्रयोगशाला ने किसी तरह का कोई राजनीतिक झुकाव नहीं दिखाया था. लेकिन इस बार वह खत्म हो गया. (फोटोः एपी) CERN halts future collaboration with Russia https://t.co/pJKDljgjF3 — Live Science (@LiveScience) March 8, 2022

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