PM मोदी की मां के निधन पर रोने लगे शायर मुनव्वर राणा, कहा- मोदी को अब फूंक-फूंक कर रखना होगा कदम
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पीएम मोदी की मां का शुक्रवार को निधन हो गया. ऐसे में मां पर शायरी लिखने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा भी रो पड़े. बातचीत में कई बार वो रोते हुए भी दिखाई पड़े और खुद को संभालते हुए कहा कि वह 70 वर्ष के ऊपर हो गए हैं लेकिन आज जब भी बुखार आता है तो हम ना अल्लाह को पुकारते हैं ना किसी को पुकारते हैं, बस अम्मा-अम्मा-अम्मा और अम्मा पुकारते रहते हैं.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा ने 30 दिसंबर को ही 100 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली. इस दौरान जब पूरे देश मे गम का माहौल था, मां पर शायरी करने वाले देश के मशहूर शायर मुनव्वर राणा भी गमगीन नजर आए. मुनव्वर राणा ने भी पीएम मोदी की मां को श्रद्धांजलि दी.
शायर मुनव्वर राणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को याद करते हुए श्रद्धांजलि के तौर पर शेर और आंखें नम कर देना वाले किस्से सुनाए और कहा कि उन जैसे विचारधारा के लोग यह नहीं कह सकते हैं कि मोदीजी की मां नहीं रहीं. बल्कि हम अपनी शायराना जुबान में कह सकते हैं कि आज फिर मेरी मां का देहांत हो गया. मां तो मां होती है, यादों के एल्बम जब हम खोलते हैं तो कभी-कभी पन्ना पलटते-पलटते सवेरा हो जाता है.
मुनव्वर राणा कहते हैं कि, 2015 में मेरी मां जब गुजरी तो मैं बहुत बड़ी शख्सियत नहीं था. उसके बावजूद भी मोदीजी ने मुझे एक पन्ने का खत संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा और उसके बाद जब हम लोगों की भेंट हुई और जब मैंने उन्हें 'मां' नामक अपनी लिखी किताब भेंट की. उस वक्त पीएम मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा कि, यह किताब वे 2009 में गुजरात में पढ़ चुके हैं. मुनव्वर राणा ने पुराना वक्त याद करते हुए कहा कि हम लोगों की काफी देर गुफ्तगू हुई लेकिन इस गुफ्तगू में कोई सियासी बात नहीं हुई.
'यह काम तो सिर्फ हिंदुस्तानी ही कर सकता है'
मुनव्वर राणाा ने बातचीत में बताया कि जब वह किसी काम के लिए रायपुर गए थे तब उन्होंने मोदीजी को बताया कि जब वह रायपुर में थे तो अचानक खबर आई कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारे प्रोटोकॉल तोड़कर नवाज शरीफ की मां से भेंट की, उनके चरण स्पर्श किए. उस वक्त मुझे रायपुर की मीडिया ने घेर लिया और कहा राणा साहब आप हमेशा विचारधाराओं के झगड़े में रहते हैं. अब आप क्या कहेंगे? तो मैंने उनसे कहा कि बात यहां मोदी जी की नहीं है बात यहां हिंदुस्तान की है. यह काम सिर्फ हिंदुस्तान का आदमी ही कर सकता है. यह कल्चरल और संस्कार जब मां अपने बच्चे को दूध पिलाती है तब उसके सीने में बो देती है.
'मोदी को बचाने के लिए नहीं रही मां'
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