
Mankading In Cricket: क्रिकेट का सबसे विवादित नियम, जिसे बाद में रन आउट में बदल दिया गया, जानें इसकी पूरी ABCD
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वीनू मांकड़ ने साल 1947 में सिडनी टेस्ट मैच के दौरान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बिल ब्राउन को नॉन-स्ट्राइकर एंड पर रन आउट किया था. ब्राउन को आउट करने से पहले वीनू ने उन्हें वॉर्निंग भी दी थी. फिर भी उनका नाम विवादों में घसीटा गया और यहीं से इस तरह के रन आउट का नाम 'मांकड़िंग' पड़ा.
क्रिकेट के खेल में कुछ ऐसे नियम रहे हैं, जिसे लेकर समय-समय पर विवाद होता रहा है. 'मांकड़िंग' भी ऐसा ही एक नियम था, जिसे लेकर खिलाड़ियों, फैन्स और क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच लंबे समय तक बहस चली. बाद में इस नियम को बदलकर ‘रन आउट’ में शामिल कर लिया गया.
जब बल्लेबाज गेंद फेंकने से पहले ही क्रीज से बाहर निकल जाता था और गेंदबाज स्टम्प पर थ्रो करके उसे आउट करता था, तो उसे 'मांकड़िंग' कहा जाता था. पहले इस तरह से बल्लेबाज को आउट करना रनआउट की कैटेगरी में शामिल नहीं था और इसे लेकर बहस छिड़ जाती थी. कई दिग्गज इसे खेल भावना के खिलाफ मानते थे, जबकि कुछ का कहना था कि यह नियम पूरी तरह से वैध है.
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मार्च 2022 में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने इसे रन आउट की श्रेणी में ला दिया. अब अगर गेंदबाज बॉल फेंकने से पहले नॉन-स्ट्राइकर एंड पर बल्लेबाज को क्रीज के बाहर पाता है, तो वह बिना किसी झिझक के रन आउट कर सकता है. इस नियम को 41 (अनफेयर प्ले) से 38 (रन आउट) में शिफ्ट कर दिया गया. इस तरह के रन आउट में अगर फील्डिंग टीम की ओर से अपील नहीं की जाती है, तो मैदानी अंपायर इसे डेडबॉल करार दे सकते हैं और वो गेंद काउंट नहीं की जाएगी.
नियम में बदलाव के बाद इस तरह के रन आउट को खेल भावना के खिलाफ नहीं माना जाता है, बल्कि एक सामान्य और सही तरीके से आउट के तौर पर देखा जाता है. क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब ( MCC) का मानना था कि बदलाव के चलते नियम और भी स्पष्ट हो गए हैं और अनावश्यक विवाद खत्म हुए. वैसे नियम में बदलाव के बावजूद भी कई पूर्व क्रिकेटर अब भी इस तरह के रन आउट को खेल भावना के खिलाफ मानते हैं.
'मांकड़िंग' (रन आउट) से जुड़े बड़े विवाद

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