
J-K: 'शहीद दिवस' पर CM उमर के साथ प्रशासन के व्यवहार पर भड़कीं ममता बनर्जी, बोलीं- शर्मनाक और अस्वीकार्य
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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ नौहट्टा स्थित शहीदों के कब्रिस्तान में जाकर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए दीवार फांदना पड़ा. रविवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के कई नेताओं को 'शहीद दिवस' मनाने से रोकने के लिए नज़रबंद कर दिया गया था.
आज यानी सोमवार सुबह श्रीनगर में शहीदों के कब्रिस्तान के पास उस वक्त अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया, जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके समर्थक श्रद्धांजलि देने के लिए स्मारक पर पहुंचे और पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इसके बाद, केंद्र सरकार के खिलाफ एक आक्रामक रुख अपनाते हुए, उमर अब्दुल्ला ने अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ नौहट्टा स्थित शहीदों के कब्रिस्तान में जाकर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए रेलिंग को चढ़ कर क्रॉस किया.
सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि वे किस कदर रेलिंग पर चढ़ने को मजबूर हुए. वीडियो में, उमर अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ पुलिस और सुरक्षाकर्मियों से घिरे कब्रिस्तान की तरफ बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. जैसे ही दरवाज़ा बंद दिखाई दिया, उमर दीवार फांदकर कब्रिस्तान में दाखिल हो गए.
'मुझे मजबूर किया गया...'
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए उमर अब्दुल्ला ने लिखा, "13 जुलाई 1931 के शहीदों की कब्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित की और फातिहा पढ़ा. सरकार ने मेरा रास्ता रोकने की कोशिश की और मुझे नौहट्टा चौक से पैदल चलने के लिए मजबूर किया. उन्होंने नक्शबंद साहब दरगाह के गेट को बंद कर दिया और मुझे दीवार फांदने के लिए मजबूर किया. उन्होंने मुझे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन मैं आज रुकने वाला नहीं था."
'मेरे साथ हाथापाई हुई...'
सीएम उमर ने एक और वीडियो जारी किया जिसमें दिखाया गया कि कब्रिस्तान के अंदर उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "मेरे साथ शारीरिक रूप से हाथापाई की गई, लेकिन मैं कठोर स्वभाव का हूं और मुझे रोका नहीं जा सकता था. मैं कोई गैरकानूनी या अवैध काम नहीं कर रहा था. यकीनन इन 'कानून के रक्षकों' को यह बताने की जरूरत है कि किस कानून के तहत वे हमें फातिहा पढ़ने से रोकने की कोशिश कर रहे थे."

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