
Himachal Pradesh Rains: 10 साल बाद फिर डरा रहे केदारनाथ जैसे आसमानी हालात, हिमाचल ऐसे ही भीषण तबाही नहीं झेल रहा!
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Flood Situation in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड में आई आफत के पीछे की वजह क्या है? मौसम की फिर वही स्थिति बनी है, जो 10 साल पहले केदारनाथ हादसे के समय बनी थी. आसमान में फिर एक बार दो घातक आफतों का संगम हुआ है. जिसने हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड की हालत खराब कर रखी है.
हिमाचल प्रदेश के ऊपर आसमान से जो आफत बरस रही है. वो ठीक वैसी ही है, जैसी 10 साल पहले 15-17 जून 2013 को केदारनाथ हादसे के समय थी. हिमाचल प्रदेश के ऊपर तूफानी संगम हो रहा है. ये जानलेवा और खतरनाक मिश्रण है. जिसमें पश्चिमी विक्षोभ, अरब सागर से उठकर राजस्थान से चलकर आती गर्म हवाएं और मॉनसूनी हवाएं मिल रही हैं. इनका घातक मिलन हो रहा है हिमाचल प्रदेश के ऊपर, जैसा केदारनाथ घाटी में एक दशक पहले हुआ था.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक मॉनसूनी हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ का मिलन ही दो दिन से हो रही बारिश और बाढ़ की वजह है. ऐसी स्थिति में भयानक बारिश होती है. जानलेवा और नुकसानदेह बाढ़ और फ्लैश फ्लड आते हैं. पहाड़ दरकते हैं. भूस्खलन होता है. नदियां सुनामी जैसी भयावह लहरों के साथ तेज गति से चलती हैं.
हैरानी इस बात की है इस बार पश्चिमी विक्षोभ के साथ उत्तरी अरब सागर से उठकर चलने वाली हवाएं भी मिली हैं. ये राजस्थान से होकर पश्चिमी विक्षोभ से मिल गई हैं. ये जाकर रुक गई हैं हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के ऊपर. जैसे पिछली बार केदारनाथ घाटी में तबाही के बादल रुक गए थे. ये आफत वाली स्थिति है.
8 दिन में 10% कम बारिश, अब सामान्य से 2% ज्यादा
जुलाई के पहले आठ दिनों में बारिश औसत से 10 फीसदी कम थी. लेकिन अब बारिश 243.2 मिलिमीटर हो चुकी है. जो सामान्य से 2 फीसदी ज्यादा है. पूरे देश में एक समान बारिश नहीं हो रही है. अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तीव्रता के साथ बारिश हो रही हैं. पूर्वी और उत्तर-पूर्वी इलाकों में बारिश में 17 फीसदी की कमी है. यानी 454 मिलिमीटर के बजाय 375.5 मिलिमीटर. उत्तर भारत में 59 फीसदी अधिक बारिश हुई है. यानी 125.5 मिलिमीटर की तुलना में 199.6 फीसदी.
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