
30 हजार फीट ऊंचाई, अनियंत्रित विमान और सामने पहाड़ी... जब उड़ान भरने के 12 मिनट बाद खत्म हो गईं 520 जिंदगियां
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जापान का वो दर्दनाक हादसा जब प्लेन में सवार 520 लोगों की जान चली गई. वो भी सिर्फ प्लेन की मेंटेनेंस में हुई लापरवाही से. लापरवाही सिर्फ यहीं नहीं, बल्कि रेस्क्यू के समय भी बरती गई. आखिर क्या है इस हादसे की पूरी कहानी और कैसे और कहां-कहां लापरवाही बरती गई, चलिए जानते हैं 1985 के उस हादसे के बारे में विस्तार से...
12 अगस्त 1985, जापान एयरलाइंस (JAL) की फ्लाइट 123 टोक्यो इंटरनेशन एयरपोर्ट (Tokyo International Airport) से ओसाका (Osaka) के लिए शाम के 6 बजे उड़ान भरने वाला था. इस फ्लाइट में 509 पैसेंजर्स और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे. इस प्लेन ने शाम के 6 बजकर 12 मिनट पर टेकऑफ किया. प्लेन में सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन उड़ान के 12 मिनट बाद अचानक से कुछ टूटने की जोरदार आवाज सुनाई दी. मानो जैसे प्लेन में बम ब्लास्ट हुआ हो.
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, उस समय फ्लाइट में 3 पायलट मौजूद थे. 49 वर्षीय कैप्टन मसामी टाकाहामा मुख्य पायलट थे. वहीं, 39 वर्षीय फर्स्ट ऑफिसर युटाका सासाकी रेडियो कम्यूनिकेशन के लिए थे. जबकि, 46 वर्षीय फर्स्ट इंजीनियर हिरोशी फुकुदा तकनीकी तौर पर कैप्टन की मदद करने के लिए थे.
जैसे ही ब्लास्ट की आवाज आई, तीनों पायलट चौंक गए. तभी एक और धमाके की आवाज फिर से आई. कैप्टन मसामी ने चेक किया कि कहीं इंजन में कोई गड़बड़ी तो नहीं है. लेकिन इंजन तो बिल्कुल सही था. अब वो आवाज किस चीज की थी, इसका पता लगाया ही जा रहा था कि अचानक से कॉकपिट में अलार्म बजने लगा. ये अलार्म कॉकपिट के एयर डिकम्प्रेशन का था.
दरअसल, प्लेन के कैबिन के अंदर कहीं से तो हवा बाहर निकल रही थी. इसलिए प्लेन के अंदर हवा का कम्प्रेशन मेंटेन नहीं हो रहा था. फिल प्लेन में और भी दिक्कत आने लगी. प्लेन अनियंत्रित होने लगा. कभी लेफ्ट तो कभी राइट कि तरफ प्लेन झुक रहा था. अब इस प्लेन को पायलट कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे. इसलिए उन्होंने तुरंत ही एमरजेंसी घोषित कर दी. फिर टोक्यो ATC से कहा कि हम हेनेडा एयरपोर्ट (Haneda Airport) की तरफ आने की कोशिश कर रहे हैं.
लेकिन काफी देर हो चुकी थी. यह प्लेन करीब 30,000 फीट की ऊंचाई पर था. इतनी ऊंचाई पर हवा सांस लेने लायक नहीं होती है. ऊपर से प्लेन के अंदर जितनी भी प्रेशराइज हवा थी वो भी तेजी से बाहर निकल रही थी. प्लेन में ऑक्सीजन मास्क तो थे. लेकिन वो भी कुछ ही मिनट तक ऑक्सीजन दे सकते थे.
ATC देता रहा वार्निंग लाचार पायलट प्लेन को बचाने की लाख कोशिश करता रहा. अब यह प्लेन कभी ऊपर उठता तो कभी नीचे जाने लगता. कभी लेफ्ट तो कभी राइट की तरफ झुकता. प्लेन पूरी तरह पायलट के कंट्रोल से बाहर हो चुका था. फिर अचानक से प्लेन एक घायल पंछी की तरह तेजी से नीचे की तरफ जाने लगा. ATC बार-बार कहता रहा कि आप गलत दिशा में जा रहे हैं. उस दिशा में एक बहुत बड़ा पहाड़ है. उधर मत जाओ. आपका प्लेन इतना नीचे आ चुका है कि आप उस पर्वत से टकरा सकते हैं.

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