
20 हजार सैनिक, 4 स्टार कमांडर और काहिरा में सेंटर... 'अरब NATO' को लेकर क्या खिचड़ी पक रही?
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अरब और इस्लामी देशों के नेताओं ने पाकिस्तान और तुर्की सहित 40 से ज़्यादा मुस्लिम देशों की एक बैठक में 'अरब नाटो' बनाने पर ज़ोर दिया. अरब जगत की सबसे बड़ी सेना वाले मिस्र ने इसे एक सामूहिक रक्षा कवच बताया और अपनी तरफ से सैनिक, मुख्यालय और कमांडर देने की पेशकश भी की है.
अरब और इस्लामी देशों के कई नेता सोमवार को कतर की राजधानी दोहा पहुंचे. जहां पिछले हफ़्ते कतर में हमास नेताओं पर इजरायली हमलों के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए एक इमरजेंसी मीटिंग हुई. हालांकि नेताओं के बीच आगे की रणनीति पर मतभेद थे और वे इजरायल के खिलाफ कम से कम कार्रवाई पर सहमत हुए. लेकिन एक ज़्यादा ठोस नतीजा यह हो सकता है कि उन्होंने एक अरब सैन्य गठबंधन के उदय की शुरुआत कर दी है.
मीटिंग में अरब नाटो पर चर्चा
प्रस्तावित गठबंधन, जिसे मिस्र ने 'अरब NATO' का नाम दिया गया है, जिसके पास अरब वर्ल्ड की सबसे बड़ी सेना है. कतर में हुई बैठक के दौरान चर्चा में आया, जिसमें पाकिस्तान और तुर्की भी शामिल हुए. एकमात्र परमाणु-सशस्त्र मुस्लिम देश पाकिस्तान ने न सिर्फ आपातकालीन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया, बल्कि 'क्षेत्र में इज़रायली योजनाओं पर नज़र रखने' के लिए एक जॉइंट टास्क फोर्स बनाने का भी आह्वान किया. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने इजरायल को आर्थिक रूप से निचोड़ने की अपील की. वह शिखर सम्मेलन में भी मौजूद थे.
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इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद अल-सुदानी ने भी नाटो स्टाइल के सामूहिक सुरक्षा ढांचे की वकालत की और इस बात पर जोर दिया कि किसी भी अरब या इस्लामी देश की सुरक्षा और स्थिरता हमारी सामूहिक सुरक्षा जिम्मेदारी का हिस्सा है.
इजरायली हमले के बाद तेज हुई पहल

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