15 राज्यों में रेड, टेरर फंडिंग से लेकर कई विवाद...जानिए क्या है PFI के बैन की असली कहानी
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गृह मंत्रालय ने टेरर कनेक्शन सामने आने के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर बैन लगा दिया है. गृह मंत्रालय का कहना है कि PFI के कई पदाधिकारियों के टेरर फंडिंग में लिंक के चलते यह फैसला लिया गया. आइए जानते हैं कि पीएफआई क्या है और इस संगठन पर क्या-क्या आरोप है? जांच एजेंसियों के रडार पर पीएफआई क्यों है?
पिछले कई दिनों से लगातार जारी छापेमारी के बाद गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर बैन लगा दिया है. कई राज्यों ने पीएफआई को प्रतिबंधित करने की मांग की थी. गृह मंत्रालय का कहना है कि PFI के कई पदाधिकारियों के टेरर फंडिंग में लिंक के चलते यह फैसला लिया गया. आइए जानते हैं कि पीएफआई क्या है और इस संगठन पर क्या-क्या आरोप है?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है. PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है.
ओएमए सलाम है PFI के अध्यक्ष
हालांकि, PFI दावा करता है कि 20 राज्यों में उसकी यूनिट है. शुरुआत में PFI का हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था, लेकिन बाद में इसे दिल्ली शिफ्ट कर लिया गया. ओएमए सलाम इसके अध्यक्ष हैं और ईएम अब्दुल रहीमान उपाध्यक्ष. PFI की अपनी यूनिफॉर्म भी है. हर साल 15 अगस्त को PFI फ्रीडम परेड का आयोजन करता है.
देश के 15 राज्यों में PFI पिछले कई महीनों से सक्रिय है. गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली, आंध्र,प्रदेश, असम, बिहार, केरल, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश में PFI सक्रिय है. हाल ही में PFI से जुड़े कई मामले सामने आये है, जिसकी जां NIA कर रही है.
15 राज्यों में NIA की छापेमारी में खुले कई राज?
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