स्टैन स्वामी: ज़मानत के लिए तरसती रही एक 'बुलंद आवाज़'
BBC
फ़ादर स्टैन स्वामी के क़रीबी लोगों के लिए उनका निधन एक बड़े झटके की तरह है. लेकिन उनका कहना है कि उन्होंने जो काम शुरू किया था, वो जारी रहेगा.
पीटर मार्टिन 'बगइचा' के उसी कमरे में रहते हैं, जो कभी फ़ादर स्टैन स्वामी का आशियाना था. यह बगइचा (स्टेन स्वामी का दफ़्तर) के पहले तल पर है. बाहर से लाल और अंदर सफ़ेद रंग से पुती हुई दीवारों वाली यह दो मंज़िला बिल्डिंग स्टैन स्वामी का दफ़्तर और घर दोनों थी. यहीं काम करते हुए उनकी पहचान देश के मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता के बतौर बनी. वे पूरी ज़िंदगी आदिवासियों और दलितों के हक़ की लड़ाई लड़ते रहे. यहीं रहते हुए उन्होंने क़रीब छह दर्जन किताबें और नोट्स लिखे. स्टैन स्वामी का निधन, भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में लगा था यूएपीए स्टैन स्वामी की मौत पर तीखी प्रतिक्रिया, कई लोगों ने उठाए सवाल साल 2020 के अक्तूबर महीने की आठ तारीख़ को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) द्वारा गिरफ़्तार किए जाने तक वे यहीं रहे. अब यहाँ उनसे जुड़ी यादें हैं. 84 साल के स्टैन स्वामी भीमा कोरेगाँव मामले में न्यायिक हिरासत में थे. उन पर हिंसा भड़काने का मामला चल रहा था और यूएपीए के तहत मामला दर्ज था.More Related News