
सिद्धार्थ शुक्ला को दुख भरी नहीं, दुआओं भरी मिली विदाई
Zee News
जब सिद्धार्थ को आखिरी विदाई दी जा रही थी, तब उनकी मां और बहनों का कुछ लोगों का रो रोकर बुरा हाल था. जबकि कुछ लोग प्रार्थना कर रहे थे कि उनकी आत्मा के लिए आगे की यात्रा सुखमय हो.
नई दिल्ली: आज हम आपसे एक सवाल पूछना चाहते हैं. जब भी कोई समय से पहले हमारे बीच से हमेशा के लिए चला जाता है तो हमें उसे दुख भर विदाई देनी चाहिए या दुआओं भरी विदाई देनी चाहिए? मशहूर एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) भी सिर्फ 40 साल की उम्र में हमारे बीच से चले गए. शुक्रवार को मुंबई में उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. यानी सिर्फ 40 वर्षों में एक जीवन चक्र पूरा हो गया. सिद्धार्थ को भी कुछ लोगों ने आंसू भरी विदाई दी तो कुछ लोगों ने उनके लिए दुआएं कि, उनके लिए मेडिटेशन किया. साथ ही ये प्रार्थना की कि उनकी आत्मा के लिए आगे की यात्रा सुखमय हो. वैसे तो भारत में किसी जवान मौत को बहुत अशुभ माना जाता है, लेकिन जिस तरीके से सिद्धार्थ शुक्ला को विदाई दी गई, उसमें मृत्यु को भी सकारात्मक तरीके से देखने की सीख छिपी है.
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