सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कहानी: कवि की कल्पना या हक़ीक़त?
BBC
पृथ्वीराज चौहान की कहानी पर आधारित फ़िल्म शुक्रवार को रिलीज़ हुई है. फ़िल्म के साथ ही ये बहस भी हो रही है कि पृथ्वीराज ऐतिहासिक पात्र थे या उनके जीवन के प्रसंग कवि की कल्पना भर हैं. आइए सच जानते हैं.
'बच्चों, बैग से सामाजिक विज्ञान की किताब निकालो. चैप्टर- 2 खोलो. आज हम वो कहानी पढ़ेंगे जो भारत के इतिहास का टर्निंग पॉइंट है. इस चैप्टर 'नए राजा और उनके राज्य' को ध्यान से पढ़ना और याद रखना. इसमें पृथ्वीराज चौहान की कहानी है और दिल्ली की भी कहानी है.'
एनसीईआरटी की सातवीं क्लास की 'हमारे अतीत' किताब को पढ़ाते वक़्त स्कूल में टीचर्स लगभग कुछ ऐसी ही बातें कहकर पढ़ाना शुरू करते हैं.
मगर ये पढ़ाया गया इतिहास बड़े होने के बाद भी याद रखना कितना मुश्किल है, इसका ताज़ा उदाहरण पृथ्वीराज चौहान का ऐतिहासिक किरदार निभाने वाले अभिनेता अक्षय कुमार हैं.
'सम्राट पृथ्वीराज चौहान' फ़िल्म के प्रमोशन के दौरान अक्षय कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा, ''दुर्भाग्य से हमारी इतिहास की किताबों में पृथ्वीराज चौहान के बारे में सिर्फ़ दो या तीन लाइनें लिखी हुई हैं. आक्रमण करने वालों पर लिखा हुआ है, लेकिन हमारे खुद के राजाओं पर दो-दो लाइनें लिखी हैं. हमारे राजा भी महान थे. उनकी कहानी सबके सामने लाइए. मुझे फ़िल्म के डायरेक्टर डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहानियां सुनाईं तो मुझे लगा कि पृथ्वीराज चौहान के बारे में इतनी सारी बातें हैं और हमें पता नहीं. मैंने इनसे कहा भी कि ये सब सही हैं न डॉक्टर साहब, ये सब काल्पनिक तो नहीं है न?''
तो आइए हम भी यही समझने की कोशिश करते हैं कि पृथ्वीराज चौहान की लोकप्रिय कहानियां कल्पना हैं या हक़ीक़त? शिलालेखों और इतिहास की किताबों में पृथ्वीराज चौहान को लेकर क्या कुछ दर्ज है और पृथ्वीराज चौहान के कुछ किस्सों को कवि की कल्पना और हक़ीक़त कहने वालों के क्या तर्क हैं?