सऊदी अरब और UAE के टकराव पर क्यों है भारत की नजर?
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पूरी दुनिया में लॉकडाउन लगने से तेल की मांग में भारी कमी आ गई थी, जिसे बनाए रखने के लिए ओपेक प्लस देशों ने तेल उत्पादन में कटौती का फैसला लिया था, लेकिन अब दोबारा से तेल की मांग में बढ़ोतरी से तेल कीमतों में वृद्धि होने लगी है जिसे नियंत्रण में रखने के लिए ओपेक प्लस देश एक बड़ी डील करना चाहते हैं जो सऊदी अरब और UAE के बीच के गतिरोध के कारण रुकी हुई थी.
कोविड वायरस के आने के बाद दुनियाभर में लगे लॉकडाउन की वजह से तेल की मांग में भारी कमी आई थी जिसकी वजह से तेल कीमतों में भी भारी गिरावट दिखी. मार्केट में तेल की कीमतों को बहुत अधिक गिरने से रोकने के लिए तेल उत्पादन करने वाले देशों के समूह ओपेक (OPEC+) ने तेल उत्पादन की मात्रा में कमी का निर्णय लिया था ताकि बाजार में तेल की कम सप्लाई हो और तेल की कीमत बनी रहें. मतलब साफ है कि बाजार में संतुलन बना रहे. अगर सऊदी और UAE में करार फाइनल हुआ तो तेल कीमतों में भारी वृद्धि का सामना कर रहे भारत को भी निश्चित रूप से राहत मिलेगी. लिहाजा, इस समझौते को लेकर भारत की नजर बनी रहेगी. Photo Credit: Getty Images लेकिन कोरोना संकट के बाद जैसे जैसे फिर से पूरी दुनिया खासकर विकसित देशों में आर्थिक गतिविधियां शुरू होने लगी हैं, वैसे-वैसे मार्केट में तेल की मांग भी बढ़ने लगी है, इसके कारण तेल कीमतों में भी वृद्धि हुई है. अब इन बढ़ती तेल कीमतों को काबू में करने के लिए ओपेक देश दोबारा से तेल उत्पादन की मात्रा बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन दो बड़े उत्पादनकर्ता यानी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच नीतिगत गतिरोध की वजह से ये डील नहीं हो पा रही है. Photo Credit: Getty ImagesMore Related News
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