
श्रीलंका: 9 मई, 9 जून, 9 जुलाई... इस्तीफे से लेकर आवास पर हमले तक... क्या राजपक्षे परिवार के लिए 9 नंबर अभिशाप है?
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Sri Lanka Crisis: 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के कई सदस्य सत्ता में रहे हैं. अब हालात ऐसे हैं कि महिंदा राजपक्षे समेत परिवार के अन्य सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है. वहीं, गोटबाया राजपक्षे ने 13 जुलाई को इस्तीफा देने की बात कही है.
श्रीलंका की राजनीति में लंबे समय से मौजूद राजपक्षे परिवार के सदस्यों ने एक-एक कर इस्तीफा दे दिया. सबसे पहले 9 मई को तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दिया. इसके एक महीने बाद 9 जून को तत्कालीन वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया. फिर एक महीने बाद यानी 9 जुलाई को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आवास पर हमला कर दिया. ऐसे में सवाल ये कि क्या राजपक्षे परिवार के लिए 9 नंबर अभिशाप है?
श्रीलंका की सत्ता के शिखर पर दशकों से राजपक्षे परिवार का राज है. राजपक्षे परिवार के तीन भाई कुछ महीने पहले तक श्रीलंका की सत्ता पर राज कर रहे थे. राजपक्षे परिवार पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है.
राजपक्षे परिवार ने ऐसे शुरू की थी अपनी राजनीति
कहा जाता है कि राजपक्षे परिवार में सियासत की शुरुआत 1930 के दशक में हुई. राजपक्षे परिवार के डॉन डेविड राजपक्षे सबसे पहले सरपंच चुने गए. डेविड राजपक्षे के बेटे डॉन मैथ्यू राजपक्षे 1936 में हंबनटोटा जिला परिषद चुने गए. डॉन मैथ्यू की मौत के बाद उनके भाई डॉन एल्विन 1945 में हुए उपचुनाव में निर्विरोध जीते.
1947 में संसदीय चुनाव में राजपक्षे परिवार के डॉन एल्विन बेलिएट्टा से सांसद चुने गए. डॉन एल्विन की 9 संतानें (छह लड़के और तीन लड़कियां) थीं. इसमें सबसे बड़े थे चामल, दूसरे नंबर पर महिंदा, फिर जयंती, टुडोर, गोटबाया, बासिल, प्रीति, डुडले और गांधीनी.
एल्विन की मौत के बाद उनके बेटे महिंदा राजपक्षे ने राजनीति शुरू की. साल 2005 में महिंदा राजपक्षे देश के राष्ट्रपति चुने गए. इसके बाद राजपक्षे परिवार के लोग सत्ता के महत्पपूर्ण पदों पर काबिज हो गए. महिंदा राजपक्षे ने अपने छोटे भाई और तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को डिफेंस सेक्रेट्री नियुक्त कर दिया. उन्होंने अपने एक और छोटे भाई बासिल राजपक्षे को राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया.

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