श्रीलंका का संकट 1991 के भारत की याद क्यों दिला रहा है?
BBC
अभी श्रीलंका में जैसे हालात हैं, उनकी तुलना भारत में 1991 की स्थिति से हो रही है. तब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग ख़ाली हो चुका था.
श्रीलंका विदेशी क़र्ज़ भुगतान नहीं कर पा रहा है क्योंकि उसके पास विदेशी मुद्रा नहीं हैं.
श्रीलंका के वित्त सचिव महिंदा सिरिवर्देना ने मंगलवार को क़र्ज़ भुगतान निलंबित करने की घोषणा की थी. श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर नंदलाल वीरासिंघे ने कहा है कि अभी क़र्ज़ भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं और क़र्ज़दाताओं से बात करेंगे.
श्रीलंका के आर्थिक अख़बार डेली फ़ाइनैंशियल टाइम्स ने एक लेख में लिखा है कि विदेशी क़र्ज़ों की अदायगी को निलंबित करना दिवालिया होने का संकेत है.
अख़बार ने लिखा है कि श्रीलंका ने विदेशी क़र्ज़ों के भुगतान को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है. श्रीलंका अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मदद से क़र्ज़ों के भुगतान करने की कोशिश कर रहा है. इसके अलावा श्रीलंका भारत और चीन जैसे देशों से भी मदद लेने की कोशिश कर रहा है.
मंगलवार को श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा था, ''हम विदेशी कर्ज़ों के भुगतान का सामर्थ्य खो चुके हैं. हमारे लिए अभी क़र्ज़ों का भुगतान चुनौतीपूर्ण और अंसभव है. हमें अभी ज़रूरी सामानों के आयात पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है और विदेशी क़र्ज़ों को लेकर परेशान होने की ज़रूरत नहीं है.''