शिमला समझौता: इंदिरा गांधी की 'राजनीतिक ग़लती' या भुट्टो की 'चालाकी'?
BBC
क्या शिमला समझौते से एक विजयी देश होने के बावजूद भारत वो हासिल नहीं कर पाया जो कर सकता था?
साल 1972 में जुलाई के पहले सप्ताह में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में काफ़ी गहमागहमी थी. यह वह दौर था जब पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. पाकिस्तान के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 73 हज़ार युद्धबंदी भारतीय हिरासत में थे, जिसमें 45 हज़ार सैनिक या अर्धसैनिक शामिल थे, और पश्चिमी पाकिस्तान का लगभग 5 हज़ार वर्ग मील क्षेत्र भारत के क़ब्ज़े में था. इसी पृष्ठभूमि में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ल्फ़िक़ार अली भुट्टो शिमला में मिल रहे थे. बाद में जो यहां समझौता हुआ उसे शिमला समझौता कहा गया. समझौते के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर की तारीख़ 2 जुलाई 1972 दर्ज है. जबकि वास्तव में इस दस्तावेज़ पर 3 जुलाई की सुबह हस्ताक्षर किए गए थे. भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान, बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र देश बन गया. दोनों देश शांतिपूर्ण तरीकों से आपसी बात-चीत के ज़रिये या अन्य शांतिपूर्ण तरीक़ों से अपने मतभेदों को आपसी सहमति से हल करने की प्रतिबद्धता पर सहमत हुए.More Related News