विधानसभा चुनावों में क्या 'मुफ़्त' के वादे दिला पाएंगे वोट?
BBC
चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियां कई चीज़ें मुफ़्त में देने का वादा करती हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए इस मुद्दे पर, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बीच एक बार फिर 'मुफ़्त' की राजनीति शुरू हो चुकी है. कहीं 'मुफ़्त'' की बिजली का एलान तो कहीं फ़्री में स्कूटी, सिलेंडर से लेकर लैपटॉप तक देने का एलान.
उत्तर प्रदेश से लेकर गोवा तक राजनीतिक पार्टियां लोकलुभावन घोषणाएं कर रही हैं.
इन 'मुफ़्त' की घोषणाओं को जनता के कल्याण के तौर पर पेश किया जा रहा है लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त क्या है? क्या 'मुफ़्त' के ऐसे वादे और इरादे वोट हासिल करने का शॉट कट हैं? ऐसी घोषणाओं से जनता का कितना भला होता है?
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