विजयवर्गीय ने वीडियो शेयर कर कहा- चचाजान दिग्विजय के शांतिदूत, तो कांग्रेस बोली- मुकदमा दर्ज हो
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बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक वीडियो ट्वीट कर मध्य-प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा कि यह वीडियो खरगोन का है. लेकिन इसे तेलंगाना का बताया जा रहा है.
बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक वीडियो ट्वीट किया है. इसमें मुस्लिम वेशभूषा में एक शख्स धमकी देता दिखता है. इसे लेकर उन्होंने कांग्रेस नेता और मध्य-प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर हमला बोला. लेकिन अब विजयवर्गीय पर झूठा वीडियो शेयर करने का आरोप लगाया जा रहा है. उनपर मुकदमा दर्ज करने की भी मांग की जा रही है.
कैलाश विजयवर्गीय के वीडियो में एक शख्स मुस्लिम वेशभूषा में दिखता है. वह कहता है- ये देखो. ये गाड़ी (इशारा पुलिस वैन की तरफ था), ये देखो दो गाड़ी. ये देखो तीन गाड़ी. ये देखो चार गाड़ियां. ठीक है? हमारे एरिया में, स्टार होटल के सामने, हम जरा कुछ करें तो तहलका मचा देते हैं. ये लोग... इतना डर काफी है तुम्हारे लोगों के लिए. समझे न. समझ गए शायद न.
इस वीडियो को ट्वीट करते हुए विजयवर्गीय लिखते हैं- ये हैं खरगोन में चचाजान दिग्विजय सिंह के शांतिदूत. पुलिस इन पर कार्रवाई न करे तो क्या करे?? आस्तीन के सांप कोई भी हों फन कुचलना जरूरी है.
हालांकि, यह वीडियो तेलंगाना का बताया जा रहा है. दावा है कि यह 2020 और 2021 के बीच का है. वहीं विजयवर्गीय के ट्वीट को शेयर करते हुए मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने लिखा- भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने यह वीडियो ट्वीट कर इसे खरगोन का बताया है… क्या यह वीडियो खरगोन का है…? शायद नहीं…? यदि यह वीडियो वहां का नहीं है, तो इस झूठे वीडियो के आधार पर इन पर भी मुक़दमा दर्ज होना चाहिये... यह सद्भाव बिगाड़ने का कृत्य है...
दरअसल, इससे पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक वीडियो शेयर किया और उसे खरगोन हिंसा का बताया था. लेकिन वह वीडियो बिहार का निकला. इसके बाद दिग्विजय सिंह के खिलाफ IPC की धारा 58/22 , u/s 153A(1), 295A,465 505(2) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई थी.
बता दें कि मध्य प्रदेश के खरगोन में 10 अप्रैल को भारी हिंसा हुई थी. उस दिन राम नवमी था. इस मौके पर शोभायात्रा निकाली गई थी. इस यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने पथराव किया था. यह हिंसा ने बदल गई. इस घटना में आम जनता समेत 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. इसके बाद मामले को लेकर राजनीति शुरू हो गई.