
वर्चस्व की लड़ाई में कैसे एक-दूसरे के दुश्मन हो गए PAK आर्मी चीफ असीम मुनीर और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान
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पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच अतीत विवादों से भरा रहा है. इमरान खान ने अपने कार्यकाल के दौरान असीम मुनीर को किनारे करने का हरसंभव प्रयास किया था. लेकिन शहबाज सरकार में मुनीर की वापसी हुई. गुरुवार को हुए आम चुनाव में भी आर्मी चीफ यानी असीम मुनीर ने इमरान खान को हराने में पूरी ताकत लगा दी.
गुरुवार को पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट 'द डॉन' के मुताबिक, कुल 265 नेशनल असेंबली के लिए चुनाव हुए थे. शुक्रवार देर रात तक 245 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं. वहीं, अन्य सीटों के नतीजे आने बाकी हैं.
घोषित नतीजे के अनुसार, सबसे ज्याद 99 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. इनमें से 91 उम्मीदवारों को इमरान समर्थित माना जा रहा है. वहीं, नवाज शरीफ की PML-N को 69 और सहयोगी पार्टी PPP को 52 सीटों पर जीत मिली है.
हालांकि, सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें नतीजे को कथित रूप से हेरफेर करने की बात कही जा रही है. लोगों का आरोप है कि इस धांधली में सेना का खुला हाथ है. आइए जानते हैं कि इमरान खान और सेना चीफ के बीच क्या दुश्मनी है जो इमरान खान और प्रधानमंत्री की कुर्सी के बीच एक रोड़ा बना हुआ है.
इमरान खान और असीम मुनीर के बीच वर्चस्व की लड़ाई
पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर आर्मी चीफ बनने के बाद से ही खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गर्त से निकालेगा. आतंकवाद से लड़ेगा. राजनीतिक संरक्षक की भूमिका निभाएगा और देश के अंतरराष्ट्रीय मामलों में एक बेहतर कूटनीतिक नजरिया पेश करेगा.
अपना राजनीतिक दबदबा बनाए रखने के लिए सेना प्रमुख असीम मुनीर ने इमरान खान को गिरफ्तार कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अलावा उन्होंने खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को खत्म करने की ठान ली. क्योंकि पीटीआई ने बार-बार सेना को मुनीर के खिलाफ उकसाया था.

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