
लोकसभा चुनाव के नॉमिनेशन कल से शुरू और उम्मीदवारी पर अब तक सस्पेंस... वरुण गांधी का क्या होगा?
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पीलीभीत सीट के लिए पहले चरण में वोटिंग होनी है. इसके लिए 20 मार्च से नॉमिनेशन शुरू होना है और उससे एक दिन पहले तक बीजेपी और सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इस सीट से वरुण गांधी सांसद हैं और अब चर्चा उनके सियासी भविष्य को लेकर भी होने लगी है. वरुण गांधी का क्या होगा?
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सूबे की सभी सीटें जीतने का टारगेट रखा है. बीजेपी अपना दल सोनेलाल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, निषाद पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल जैसी पार्टियों से गठबंधन की गोटी सेट कर टारगेट तक पहुंचने की कोशिश में है. पार्टी ने यूपी की 51 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया है लेकिन एक ऐसी सीट पर पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं जिस पर सबकी नजर है. यह सीट है पीलीभीत लोकसभा सीट.
पीलीभीत सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी सांसद हैं. 2009 में पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए वरुण गांधी की गिनती कभी बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं में होती थी. वह सियासत में एंट्री के साथ ही तेजी से सफलता की सीढ़िया चढ़ते गए लेकिन पिछले कुछ साल से अपनी ही पार्टी को घेरते नजर आए हैं.
अब स्थिति यह है कि वरुण गांधी को बीजेपी से टिकट मिलेगा भी या नहीं, चर्चा इसे लेकर होने लगी है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पीलीभीत सीट यूपी की उन आठ सीटों में शामिल है जिनके लिए पहले चरण में 20 अप्रैल को वोटिंग होनी है. पहले चरण की सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया 20 मार्च से शुरू होनी है.
बीजेपी यूपी की 51 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर चुकी है लेकिन पार्टी ने पीलीभीत को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वरुण गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक पोस्ट किया है जिसे इसी सस्पेंस से जोड़कर देखा जा रहा है. वरुण गांधी ने फेसबुक पोस्ट कर कहा है-सत्य को बेशक थोड़ा इंतजार करना पड़े मगर अंततः विजय सत्य की ही होगी. वरुण की इस पोस्ट के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं.
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जनता में वरुण के चुनाव लड़ने या न लड़ने को लेकर भ्रम की स्थिति है तो वहीं विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) भी बीजेपी उम्मीदवार के ऐलान का इंतजार कर रही है. दरअसल, वरुण गांधी पिछले कुछ साल में अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरते नजर आए हैं. किसान आंदोलन हो या बेरोजगारी का मुद्दा, वरुण गांधी कई मौकों पर अपनी पार्टी की लाइन और सरकार के विपरीत खड़े नजर आए. लंबे समय तक पीलीभीत में पार्टी के मंच से दूर नजर आए सांसद वरुण के तेवर में पिछले कुछ दिनों से बदलाव आया है.

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