म्यांमार में सेना के खिलाफ बोलने वाले तीसरे कवि की हिरासत में मौत, शव से कई अंग मिले गायब
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45 साल के कवि की मौत के बाद उनके फेसबुक पेज पर लिखा गया है कि खेत थि जानते थे कि विरोध करने पर "वे (सेना) सिर में गोली मारते थे, लेकिन क्रांति उनके दिल में थी और उन्होंने लोगों की आवाज बुलंद की.
म्यांमार में फरवरी महीने में चुनी हुई सरकार का तख्तापलट करने के बाद वहां सेना का जुल्म चरम पर है. वहां की सेना आंदोलनकारियों के दमन की हरसंभव कोशिश कर रही है. इसी क्रम में म्यांमार के कवि खेत थि की मौत सेना की हिरासत में हो गई. उनके शव को तो परिजनों को लौटा दिया गया लेकिन हैरानी की बात ये है कि दिवंगत कवि के कई अंग शरीर से गायब हैं. कवि खेत थि ने खुलकर सेना के तख्तापलट का विरोध किया था और इसके खिलाफ सड़कों परा डटे हुए आंदोलनकारियों का साथ दे रहे थे. कवि के पार्थिव शरीर से अंगों के गायब होने का आरोप उनके परिजनों ने ही लगाया है. हालांकि जब इस पर सेना के प्रवक्ता से जवाब देने को कहा गया तो उन्होंने कॉल का जवाब नहीं दिया. 45 साल के कवि की मौत के बाद उनके फेसबुक पेज पर लिखा गया है कि खेत थि जानते थे कि विरोध करने पर "वे (सेना) सिर में गोली मारते थे, लेकिन क्रांति उनके दिल में थी और उन्होंने लोगों की आवाज बुलंद की.More Related News
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