मौलाना आज़ाद के निधन के 30 साल बाद क्यों छपे थे 'इंडिया विन्स फ्रीडम' के 30 पन्ने
BBC
मौलाना आज़ाद की आत्मकथा 'इंडिया विन्स फ्रीडम' के 30 पन्ने आज से ठीक 40 साल पहले उनकी पुण्य तिथि पर सार्वजनिक हुए थे. उनकी मृत्यु के 30 साल बाद छपे इन पन्नों में क्या है?
आप राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में जनपथ से जैसे ही मौलाना आज़ाद रोड की तरफ़ बढ़ते हैं, तो सड़क के शुरू में ही विज्ञान भवन मिलता है. इस सड़क की पहचान इसलिए होती है क्योंकि इस पर विज्ञान भवन और उप राष्ट्रपति आवास आबाद हैं.
ये किंग एडवर्ड रोड से मौलाना आज़ाद रोड इसलिए हो गया, क्योंकि इसी सड़क के चार नंबर के बंगले में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद 1947 से 22 फरवरी, 1958 को अपनी मृत्यु तक रहे थे. हालांकि सेंट्रल विस्टा के नक्शे में इन सबमें तब्दीली आ जाएगी, लेकिन अभी ये सब मौजूद हैं.
जिधर विज्ञान भवन की एनेक्सी है वहां पर ही था मौलाना आज़ाद का सरकारी बंगला. इस बात का जिक्र कई जगहों पर मिलता है कि बंगले में रहते रात आठ-नौ बजे के बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आज़ाद से मिलने नेहरु कैबिनेट के जूनियर मंत्री हुमायूं कबीर (वे आगे चलकर जार्ज फर्नांडीज़ के ससुर भी बने) आते थे.
इन दोनों के मिलने का एक बड़ा मक़सद यह होता था कि मौलाना आज़ाद अपनी आत्मकथा के लिखे कुछ पन्नों को हुमायूं कबीर को थमा देते थे. उसके बाद कबीर साहब उनका उर्दू से अंग्रेज़ी में तर्ज़ुमा किया करते थे.