
महात्मा गांधी की पसंदीदा 'अबाइड विद मी' धुन को बीटिंग रीट्रीट से हटाने की ख़बर, फिर विवाद
BBC
साल 2020 की तरह इस बार भी 'अबाइड विद मी' धुन को लेकर विवाद है. ख़बरें हैं कि मोदी सरकार ने इस ईसाई धुन को बीटिंग रीट्रीट की धुनों की लिस्ट में शामिल नहीं किया है. 'अबाइड विद मी' धुन महात्मा गांधी की पसंदीदा रही है.
हर साल 29 जनवरी को नई दिल्ली में विजय चौक पर बीटिंग रीट्रीट समारोह आयोजित होता है. इस संगीतमय आयोजन से गणतंत्र दिवस के समारोह का समापन होता है.
इस सैन्य परंपरा की शुरुआत 17वीं सदी में इंग्लैंड में हुई थी. तब किंग जेम्स द्वितीय ने शाम में जंग ख़त्म होने के बाद अपने सैनिकों को ड्रम बजाने, झंडा झुकाने और परेड के आयोजन का आदेश दिया था.
उस वक़्त इस समारोह को 'वॉच सेटिंग' कहा जाता था. यह जंग के दौरान सूर्यास्त के वक़्त सिंगल राउंड की फायरिंग के साथ शुरू होता था. इस परंपरा का निर्वाह ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत समेत कई देशों में जारी है.
भारत के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बीटिंग रीट्रीट समारोह राष्ट्रीय गर्व के रूप में उभरा है. इस दौरान सेना के बैंड म्यूज़िकल परफॉर्म भी करते हैं. इसमें भारतीय और पश्चिमी दोनों धुनें होती थीं.
साल 2020 की तरह इस बार भी 'अबाइड विद मी' धुन को लेकर विवाद है. कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने इस ईसाई धुन को बीटिंग रीट्रीट में नहीं शामिल करने का फ़ैसला किया है. 'अबाइड विद मी' महात्मा गांधी की पसंदीदा धुन रही है.
