ममता बनर्जी पेगासस मामले की जाँच किस अधिकार से करा सकती हैं?
BBC
पेगासस स्पाईवेयर के ज़रिए जासूसी के आरोपों की न्यायिक जाँच के लिए आयोग बनाकर क्या ममता ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है.
पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके राजनेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी के मामले में जहाँ केंद्र की मोदी सरकार ने अब तक किसी जाँच की बात नहीं की है, वहीं पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने इस "पूरे मामले की तह तक पहुंचने के लिए" दो सदस्यीय आयोग का गठन कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य इस जांच आयोग के सदस्य हैं और उन्हें अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए छह महीने का समय दिया गया है. पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार राज्य में रहने वाले व्यक्तियों के मोबाइल फ़ोन की कथित अवैध हैकिंग, निगरानी, ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग से संबंधित मामले को लेकर जाँच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 के तहत यह फ़ैसला किया है. पेगासस स्पाईवेयर विवाद में ये कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और चुनावों के दौरान बैनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर स्पाईवेयर के निशाने पर थे. इस मामले में ममता पहले ही मोदी सरकार पर एक "सर्विलांस स्टेट स्थापित करने की कोशिश" करने का आरोप लगा चुकी हैं.More Related News