
मंदी की दहलीज पर अमेरिका, हर महीने 1.75 लाख लोग होंगे बेरोजगार, जानें- भारत पर क्या होगा असर?
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Bank Of America में यूएस इकनॉमिक्स के हेड माइकल गैपन (Michael Gapen) ने अगले एक साल में अमेरिका में बेरोजगारी दर 5 से 5.5 फीसदी होने का अनुमान लगाया है. ये अनुमान इसलिए ज्यादा खतरनाक नजर आता है, क्योंकि फेड ने भी अगले साल बेरोजगारी दर का अनुमान 4.4 फीसदी लगाया है.
दुनिया भर पर मंदी (Recession) का खतरा मंडरा रहा है और इसकी जद में सबसे ज्यादा अमेरिका (America) नजर आ रहा है. 40 साल के उच्चस्तर पर महंगाई (Inflation), ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी (Interest Rate Hike) और बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) 53 साल के निचले स्तर पर आना कुछ इसी ओर इशारा कर रही है.
सितंबर में 2.63 लाख लोगों को नौकरियां मिलीं, जो 1969 के बाद का सबसे निचला स्तर है. ऐसे में अब बैंक ऑफ अमेरिका (Bank Of America) की रिपोर्ट में बेहद डराने वाली संभावना व्यक्त की गई है. इसके मुताबिक अगले साल की पहली छमाही यानी जनवरी-जून में अमेरिका मंदी की गिरफ्त में आ सकता है. अगर ऐसा होता है तो देश में हर महीने 1.75 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं.
भारत इस तरह होगा प्रभावित
अमेरिका में शेयर बाजार की हलचल हो या फिर अन्य कोई महत्वपूर्ण फैसला. उसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिलता है. भारत को भी अमेरिकी उथल-पुथल बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है. ऐसे में मंदी की मार के बीच अगर अमेरिका में इतने बड़े स्तर पर नौकरियां जाती हैं, तो ऐसे भारतीय पेशेवर जो देश छोड़कर वहां नौकरी कर रहे हैं, वो भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. गौरतलब है कि लाखों की संख्या में भारतीय अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं. भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों के लिए भी ये परेशानी का सबब बनेगा.
ब्याज दरों में वृद्धि से बिगड़ेंगे हालात Bank Of America में यूएस इकनॉमिक्स के हेड माइकल गैपन (Michael Gapen) ने अगले एक साल में अमेरिका में बेरोजगारी दर 5 से 5.5 फीसदी होने का अनुमान लगाया है. ये अनुमान इसलिए ज्यादा खतरनाक नजर आता है, क्योंकि फेड ने भी अगले साल बेरोजगारी दर का अनुमान 4.4 फीसदी लगाया है. अमेरिका में महंगाई का हाल दुनिया के दूसरे विकसित देशों की तरह ही नजर आ रहा है.
अमेरिका में चार दशक के उच्चस्तर पर पहुंची महंगाई को थामने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व लगातार ब्याज दरों में इजाफा कर रहा है. ब्याज दरों में यह इजाफा न केवल अमेरिका, बल्कि दुनियाभर पर असर डालता है. निवेशकों के फैसले रातों-रात फेड रिजर्व के एक निर्णय से बदल जाते हैं. दुनियाभर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल मच जाती है. जो हालात बिगाड़ने वाले साबित होते हैं.

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