
'बीटल्स के गाने ऑल यू नीड इज लव से असहमत हूं, हमें प्यार से कुछ ज्यादा चाहिए', जस्टिस चंद्रचूड समलैंगिकों के अधिकारों पर बोले
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जस्टिस चंद्रचूड उन पांच जजों में से एक थे, जिन्होंने आईपीसी की धारा 377 को खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. उन्होंने कहा- “मैं उस पीठ का हिस्सा बनने के लिए काफी भाग्यशाली था, जिसने फैसला सुनाया. मामले में हम वापस गए और अपने स्वयं के विचार को उलट दिया, जिसमें कहा गया था कि धारा 377 आईपीसी संवैधानिक थी.
एलजीबीटी (LGBTQ+) समुदाय के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड ने मंगलवार को कहा कि वह बीटल्स के गाने 'ऑल यू नीड इज लव' से असहमत हैं. उन्होंने कहा कि हमें शायद प्यार से कुछ ज्यादा चाहिए. जस्टिस चंद्रचूड ने ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं.
जस्टिस चंद्रचूड ने 'बियॉन्ड नवतेज: द फ्यूचर ऑफ द एलजीबीटीक्यू प्लस मूवमेंट इन इंडिया' विषय पर बोलते हुए कहा कि समानता केवल आईपीसी की धारा 377 (समलैंगिकता) को अपराध से मुक्त करने से ही हासिल नहीं की जा सकती है, बल्कि इसे घर, कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में विस्तारित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि नवतेज मामले में निर्णय महत्वपूर्ण था, लेकिन हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है. संरचनात्मक परिवर्तन के साथ-साथ व्यवहार में भी बदलाव लाना जरूरी है.
यह कार्यक्रम नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ के मामले में समलैंगिकता को अपराध से मुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की चौथी वर्षगांठ नजदीक अपने पर आयोजित किया गया था. जस्टिस चंद्रचूड यह ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा थे.
जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि असामान्य या अपरंपरागत परिवार उन सभी कानूनी और सामाजिक लाभों आनंद लेने में सक्षम हैं, जो उनके समकक्ष करते हैं, जैसे विवाह या फिर कुछ और. उन्होंने स्पष्ट किया- जब मैं अपरंपरागत परिवारों की बात करता हूं, तो मेरा मतलब केवल समलैंगिक जोड़ों से नहीं बल्कि उन लोगों से भी है जो स्वीकृत मानदंडों से अलग अपना जीवन इस तरह से जीने का विकल्प चुनते हैं. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर समलैंगिगों की उपस्थिति अपवाद के बजाय आदर्श होनी चाहिए. इस आसान लेकिन अहम काम नवतेज के फैसले में जान फूंक देगा. उन्होंने कहा कि यह फैसला केवल कानून का काला अक्षर नहीं है बल्कि यह बदलाव हर भारतीय के दिल और आत्मा में होने चाहिए.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के अनुसार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता के केंद्र में हमें यह चुनने की आजादी है कि हम कौन हैं, हम किससे प्यार करते हैं और बिना किसी डर के, पूरे दिल से, खुशी से देश के समान नागरिकों की तरह जीवन जिएं. उन्होंने कहा- जैसा कि हम नवतेज की चौथी वर्षगांठ के करीब हैं. मेरी पूरी उम्मीद है कि हम ऐसा जीवन जीने में सक्षम होंगे. मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह उम्मीद एक दिन सच में बदल जाएगी.

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