बांग्लादेश में मंदिरों पर हमले के बाद डर के साए में जीते हिंदू
BBC
बांग्लादेश में सिलसिलेवार तरीक़े से अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के ख़िलाफ़ शुरू हुई हिंसा अब थम गई है लेकिन वहां पर हिंदू अभी भी डर के साए में जी रहे हैं.
कई हिंदुओं की तरह बनोलता दास का मानना है कि मंदिर एक सुरक्षित और पवित्र जगह है.
इसी वजह से बनोलता दास को बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व नोआखाली ज़िले के एक मंदिर कॉम्प्लेक्स में अपने बेटे के जाने पर कोई चिंता नहीं थी. प्रांत चंद्र दास 21 वर्ष के थे और कॉलेज में पढ़ते थे.
लेकिन तभी यह त्रासदी घटित हुई और धार्मिक उन्मादियों की सैकड़ों लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर प्रांत चंद्र दास को पीट-पीटकर मार डाला.
बनोलता रोते हुए कहती हैं, "मेरा सबसे छोटा बेटा मेरे दिल के सबसे क़रीब था. उसकी मौत के बाद मैं अपना दिल और सब कुछ खो चुकी हूं."
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