बढ़ती आबादी के अनाज की ज़रूरतें कैसे पूरी करेंगे हम - दुनिया जहान
BBC
दुनिया की आबादी आज 7.7 अरब है, इस दशक के आख़िर तक ये आंकड़ा 11 अरब तक हो जाएगा. आने वाले वक़्त में मुल्कों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, लोगों के लिए अनाज जुटाने की.
दुनिया की आबादी आज 7.7 अरब है, इस दशक के आख़िर तक ये आंकड़ा 11 अरब तक हो जाएगा. वहीं आने वाले चार दशकों में भारत की आबादी 1.7 अरब तक होने का अनुमान है.
आने वाले वक़्त में मुल्कों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, इतनी बड़ी आबादी के लिए अनाज जुटाने की.
1798 में अर्थशास्त्री थॉमस मैलथस ने कहा कि जनसंख्या जिस रफ़्तार से बढ़ती है, उस रफ़्तार से अनाज का उत्पादन नहीं होता , इसलिए दुनिया में आबादी के अनुपात से खाना हमेशा कम रहेगा.
मैलथस के अनुसार जनसंख्या वृद्धि की रफ़्तार एक से दो, दो से चार, चार से आठ और फिर आठ से सोलह होती है, वहीं खाद्यान्न उत्पादन की गति एक से दो, दो से तीन, तीन से चार और फिर चार से पांच होती है. यानी सौ साल बाद आबादी को खिलाने के लिए अनाज कम पड़ेगा.
मैलथस का मानना था कि सूखा, बीमारी, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं आबादी को नियंत्रण में रखने में मदद करती हैं ताकी आबादी और अनाज उत्पादन का संतुलन बना रहे.