बजट के एलानों से कोरोना की मार झेलती इकोनॉमी कितनी उबर जाएगी
BBC
मोदी सरकार के बजट में कोरोना महामारी की तमाम चुनौतियों का सामना करने की कितनी क्षमता है. आम आदमी की ज़िंदगी में इससे कितना बदलाव आएगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया. इसमें कोरोना से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई उपायों का एलान किया गया.
मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे पर ख़र्च को बढ़ा दिया है. साथ ही छोटे व्यवसायों के लिए क्रेडिट गारंटी भी बढ़ाने का एलान किया गया है. सरकार ने कोशिश की है कि इन उपायों के ज़रिए कम मांग, बढ़ी हुई बेरोज़गारी, उच्च महंगाई दर और कोरोना के बाद 'के आकार' की रिकवरी से अर्थव्यवस्था को छुटकारा मिले.
कोरोना के बाद के हालातों में पाया जा रहा है कि अर्थव्यवस्था के टॉप पर मौजूद संगठित क्षेत्र के उद्योग तेज़ी से विकास कर रहे हैं, लेकिन पहले से कमज़ोर और असंगठित क्षेत्र के छोटे उद्यम बढ़ने की बजाय नीचे की ओर जा रहे हैं.
इसे लेकर सरकार को लगातार आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए ''दो तरह की गति वाली रिकवरी'' ख़तरनाक है.
केंद्रीय वित्त मंत्री ने इन हालातों से निपटने के लिए इस बजट में बहुत बड़े ख़र्च की योजना पेश की और बढ़े राजकोषीय घाटे पर तेज़ी से नियंत्रण पाने की कोशिश छोड़ दी.