
पाकिस्तान: क्या है शहबाज का वो वादा, जिसके पूरा न होने पर सरकार गिराने की धमकी दे रहे हैं बिलावल?
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इकोनॉमी के मोर्चे पर डवांडोल पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिरता का भी संकट खड़ा हो सकता है. पाकिस्तान की सत्ता में साझीदार पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन ने पीएम शहबाज शरीफ को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर पीएम अपने वायदे नहीं निभाते हैं तो उनके लिए फेडरल सरकार में रहना मुश्किल हो जाएगा. क्या है शहबाज का ये वायदा जिसके न पूरा होने पर सरकार गिराने की धमकी दे रहे हैं बिलावल?
पाकिस्तान की राजनीति में फिर से हलचल की आहट आ रही है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ सत्ता की साझेदारी कर रहे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि अगर केंद्र सिंध प्रांत में बाढ़ से प्रभावित जनता को वादे के मुताबिक मदद मुहैया नहीं कराता है तो उनकी पार्टी के लिए सरकार में रहना 'बहुत मुश्किल' हो जाएगा.
बिलावल भुट्टो ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कही. बिलावल गेहूं की फसल के लिए किसानों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे.
बता दें कि सिंध में भुट्टो की पार्टी सत्ता में हैं. सिंध की सरकार ने बेनजीर इनकम सपोर्ट प्रोग्राम के तहत 8.39 अरब पाकिस्तानी रुपये गेहूं पैदा करने वाले किसानों को देने की योजना बनाई है. इस योजना के तहत गेहूं उपजाने वाले हर किसान को सरकार 5000 पाकिस्तानी रुपये बतौर मदद देगी. ये मदद 12 एकड़ तक जोत रखने वाले किसान को मिलेगी.
बिलावल भुट्टो ने कहा कि किसानों को मदद पहुंचाने के लिए 13.5 अरब पाकिस्तानी रुपये की जरूरत है. इसके लिए तय किया गया था कि पाकिस्तान की केंद्र सरकार इस योजना के लिए 4.7 अरब रुपये देगी जबकि बाकी बचे 8.39 अरब रुपये सिंध सरकार देगी.
पाकिस्तान की सरकार ने ये 4.7 अरब रुपये अबतक नहीं दिए हैं. इस मुद्दे की चर्चा करते हुए बिलावल भुट्टो ने कहा कि हम इस मुद्दे को नेशनल असेंबली में उठाएंगे. बिलावल ने कहा कि वो इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी बात करेंगे और उनसे बाढ़ पीड़ितों से किया गया वादा पूरा करने को कहेंगे, अन्यथा पीपीपी के लिए केंद्र सरकार का हिस्सा बने रहना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
बता दें कि 2022 में सिंध प्रांत में आए भयावह बाढ़ में पाकिस्तान का एक तिहाई भाग जलमग्न हो गया और 1,200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इस बाढ़ का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर विपरित प्रभाव पड़ा, इससे 30 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का नुकसान हुआ.

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