
पाकिस्तान को मिलने वाली मदद क्यों रुकवाना चाहती हैं अमेरिकी सांसद इल्हान उमर?
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इल्हान उमर समेत 11 सांसदों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को ये पत्र लिखा है. पत्र में अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान में संवैधानिक व्यवस्था की बहाली और ईशनिंदा कानून में बदलाव को वापस लेने की मांग करते हुए कहा, हम आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 के पारित होने को लेकर बेहद चिंतित हैं. इसका इस्तेमाल अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए किया जा रहा है.
इल्हान उमर समेत 11 अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान को US से मिलने वाली मदद पर रोक लगाने की अपील की है. अमेरिका के 11 सांसदों के इस ग्रुप ने बाइडेन प्रशासन से अपील की है कि जब तक पाकिस्तान में संवैधानिक व्यवस्था बहाल नहीं होती और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव नहीं होते, तब तक उसे भविष्य में दी जाने वाली सहायता रोक दी जाए. इतना ही नहीं इन सांसदों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को लिखे पत्र में कहा कि विदेश मंत्रालय ये आकलन करे कि अमेरिका से मिलने वाली सहायता के जरिए पाकिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा. ये पत्र लिखने वाले सांसदों में इल्हान उमर भी शामिल हैं. इल्हान भारत विरोधी बयानों को लेकर भी चर्चा में बनी रहती हैं.
इल्हान समेत 11 सांसदों ने पत्र में लिखा, हम अपील करते हैं जब तक कि पाकिस्तान संवैधानिक व्यवस्था की बहाली की दिशा में निर्णायक रूप से आगे नहीं बढ़ जाता और सभी दलों की भागीदारी से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं कराता तब तक भविष्य में उसे मिलने वाली सुरक्षा सहायता रोक दी जाए. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्र में ईशनिंदा कानून को और मजबूत करने के पाकिस्तान के कदमों का भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि प्रस्तावित बदलावों का इस्तेमाल छोटे धार्मिक समूहों और अल्पसंख्यकों पर शिकंजा कसने के लिए किया जाएगा. अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान में संवैधानिक व्यवस्था की बहाली और ईशनिंदा कानून में बदलाव को वापस लेने की मांग करते हुए कहा, हम आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 के पारित होने को लेकर बेहद चिंतित हैं, जो मौजूदा ईशनिंदा कानून को मजबूत करेगा. इसका धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने में इस्तेमाल किया जा रहा है. पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मुद्दा है. यहां ईशनिंदा के आरोप मात्र पर हिंसा की घटनाएं होती रहती हैं. अल्पसंख्यकों के अधिकारों की वकालत वाले सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के मुताबिक. पाकिस्तान में 1987 से इस साल मई तक 2,000 से अधिक लोगों पर ईशनिंदा करने का आरोप लगाया गया है, और कम से कम 88 लोगों को भीड़ द्वारा मार डाला गया है.
अमेरिकी सांसदों द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि पाकिस्तान की संसद में विधेयक पारित होने के आठ दिन बाद भीड़ ने चर्चों पर हमले किए. जारनवाला में ईसाइयों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया. पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न बड़े पैमाने पर जारी है, और यदि यह विधेयक कानून बन जाता है तो हम भविष्य में धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों को लेकर चिंतित हैं. इल्हान उमर के अलावा पत्र लिखने वाले सांसदों में फ्रैंक पैलोन जूनियर, जोकिन कास्त्रो, समर ली, टेड डब्ल्यू लियू, दीना टाइटस, लॉयड डोगेट और कोरी बुश शामिल हैं. इन सांसदों ने पाकिस्तान में चल रहे उत्पीड़न और गिरफ्तारियों का सवाल भी उठाया है. सांसदों ने जेल में बंद पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के खिलाफ मामलों का भी जिक्र किया.

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