
नेट्स से ग्राउंड तक आते-आते कहां 'गुम' हो रहे सूर्या के रन? कैसे कमजोर कड़ी साबित हो रहे
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भारत ने तीसरे टी20 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 118 रनों का मामूली लक्ष्य आसानी से हासिल किया, लेकिन शीर्ष क्रम- जिसमें सूर्यकुमार शामिल थे, वह भरोसा नहीं दे पाए जिसकी उम्मीद टीम और फैन्स कर रहे थे. सूर्या ने नेट्स में अपनी लय का हवाला देते हुए आत्मविश्वास दिखाया, लेकिन वास्तविक अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में रन न बनना उनकी लय और आउटपुट के बीच की दूरी को साफ करता है.
'लय में हूं ,लेकिन रन नहीं बना पा रहा...'. कप्तान सूर्यकुमार यादव का यह बयान सुर्खियों में है. धर्मशाला टी20 जीत के बावजूद उनके इस बयान ने क्रिकेट जगत में नई बहस छेड़ दी है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टी20 अंतरराष्ट्रीय में भारत ने जब 118 रनों के मामूली लक्ष्य को 15.5 ओवरों में हासिल किया, तब नतीजा एकतरफा था... लेकिन कहानी उतनी सीधी नहीं थी. जीत के शोर के बीच भारतीय कप्तान का यह बयान एक ऐसे सवाल को सामने ले आया, जिसे नजरअंदाज करना आसान नहीं है- क्या टी20 क्रिकेट में लय, रन के बिना भी मानी जा सकती है?
भारत की जीत दरअसल गेंदबाजों की बदौलत बनी. दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी शुरुआत से ही दबाव में दिखी और पूरी टीम 117 रनों पर सिमट गई. ऐसे छोटे लक्ष्य आमतौर पर बल्लेबाजों के लिए फॉर्म लौटाने का सुनहरा मौका होते हैं. लेकिन इस मैच में खुद सूर्यकुमार यादव की पारी वह भरोसा नहीं दे सकी, जिसकी तलाश टीम मैनेजमेंट और फैन्स दोनों कर रहे हैं. सूर्यकुमार 11 गेंदों में 12 रन ही बना पाए और कम रन बनाने का सिलसिला लगातार आगे बढ़ाते जा रहे...
... लेकिन टी20 क्रिकेट की सच्चाई बेहद कठोर
सूर्यकुमार यादव का बयान इस पूरे परिदृश्य की धुरी बन गया. कप्तान ने मैच के बाद साफ कहा कि वह रन नहीं बना पा रहे हैं, लेकिन लय में हैं. उन्होंने नेट्स में अपनी बल्लेबाजी का हवाला देते हुए यह भी जोड़ा कि जब जरूरत होगी, तब रन आएंगे. यह आत्मविश्वास एक कप्तान के लिए जरूरी है, क्योंकि ड्रेसिंग रूम में घबराहट फैलने से पहले उसे संभालना नेतृत्व का ही काम होता है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय टी20 क्रिकेट की सच्चाई इससे कहीं ज्यादा कठोर है.
अगर सूर्या की हालिया टी20 पारियों पर नजर डालें, तो तस्वीर साफ हो जाती है. उनकी पिछली कुछ पारियां रही हैं- 12, 5, 12, 32, 20, 31*, 35, 47. ये स्कोर यह दिखाते हैं कि वह पूरी तरह फ्लॉप नहीं हैं, लेकिन वह विस्फोटक प्रभाव भी नहीं दिखा पा रहे, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है. कई बार वह 25–30 रन तक पहुंचने के बाद आउट हुए, तो कई मौकों पर अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में बदलने से चूक गए. यही वह बिंदु है, जहां ‘लय’ और ‘आउटपुट’ के बीच की दूरी साफ दिखती है.
टी20 फॉर्मेट में लय का पैमाना बेहद निर्मम होता है. यहां टाइमिंग, फुटवर्क और शॉट चयन तभी मायने रखते हैं, जब वे रन में बदलें. सूर्या जैसे बल्लेबाज के लिए लय का मतलब सिर्फ बल्ले का सही लगना नहीं, बल्कि उन अपरंपरागत शॉट्स का सफल होना भी है, जिनकी वजह से उन्होंने खुद को इस फॉर्मेट का सबसे खतरनाक बल्लेबाज साबित किया है. जब वही शॉट्स बार-बार फील्डर के हाथों में जा रहे हों, तो यह संकेत है कि या तो माइक्रो-टाइमिंग चूक रही है या मैच की परिस्थिति को पढ़ने में हल्का सा फर्क आ रहा है.

तीसरे टी20I से शुभमन गिल के लिए तीन मैचों का निर्णायक ऑडिशन शुरू हो गया है. खराब फॉर्म के चलते उनकी जगह खतरे में है, जबकि सूर्यकुमार यादव को कप्तान होने के कारण राहत मिल सकती है. टीम मैनेजमेंट की रणनीतिक चूकों, कुलदीप यादव की संभावित अनदेखी और संजू सैमसन की वापसी की चर्चा के बीच धर्मशाला मुकाबला भारत के लिए बेहद अहम बन गया है.












