
दुनिया में सबसे गरीब है ये देश, रोटी और पानी भी यहां लग्जरी, ऐसी है जिंदगी
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अफ्रीका के पूर्वी भाग में बसा हुआ साउथ सूडान साल 2011 में सूडान से अलग होकर एक आजाद देश बन गया था. वर्तमान में इस देश की आबादी लगभग 1.3 करोड़ है, और इसकी राजधानी जुबा है. आंतरिक युद्ध और आर्थिक अस्थिरता ने देश को इतना डुबा दिया कि वहां रहने वाले लोगों के लिए जिंदा रहना भी एक चुनौती ही बन गई.
गरीबी में आदमी जिंदा तो होता है लेकिन उस जिंदगी को जीने के लिए दो वक्त की रोटी और कभी-कभी तो पीने का पानी भी लग्जरी से कम नहीं होता है. दुनिया के अमीर देशों में लोगों की ऐश से भरपूर जिंदगी की चर्चा तो आमतौर पर की जाती है लेकिन गरीब देशों की बातें या वहां के आम जीवन बिताने वाले लोगों के बारे में जानने में ज्यादा लोग इच्छुक नहीं होते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही दुनिया के सबसे गरीब देशों की लिस्ट में शुमार साउथ सूडान देश के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोगों की रोजमर्रा जिंदगी नरक में रहने से कम नहीं है.
अफ्रीका के पूर्वी भाग में बसा हुआ साउथ सूडान साल 2011 में सूडान से अलग होकर एक आजाद देश बन गया था. वर्तमान में इस देश की आबादी लगभग 1.3 करोड़ है, और इसकी राजधानी जुबा है. साउथ सूडान के सूडान से आजाद होने के बाद से ही लोगों की स्थिति बद से बदतर हुई.
आंतरिक युद्ध और आर्थिक अस्थिरता ने देश को इतना डुबा दिया कि वहां रहने वाले लोगों के लिए जिंदा रहना भी एक चुनौती ही बन गई. आलम यह हो गया कि साल 2024 में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने जीडीपी के लिहाज से भी साउथ सूडान को सबसे गरीब देश बताया है.
साल 2013 और साल 2016 के गृहयुद्ध ने बदल दी सारी तस्वीर जब सूडान से साउथ सूडान अलग हुआ, उस समय सूडान की हालात भी बहुत अच्छी तो थी नहीं, ऐसे में साउथ सूडान के अलग होते ही चीजें और ज्यादा बिगड़ना शुरू हो गई. वर्तमान में साउथ सूडान की 82 फीसदी जनता गरीबी में है. अगर बात करें वहां के ग्रामीण इलाकों की तो वहां शायद लोगों तक एक दिन में एक वक्त की रोटी भी नहीं पहुंच रही है. यूएन और कई वैश्विक स्तर की एजेंसियां वहां बेशक लोगों के लिए काम कर रही हैं लेकिन हालत इतनी खराब है कि लोगों का आम जीवन जीना भी मुश्किल हो गया है. 9 जुलाई, साल 2011 में दक्षिण सूडान के अलग होने के बाद ही स्थिति तो खराब हो गई थी. जिसके बाद देश के लोग साल 2013 और साल 2016 में आंतरिक युद्ध से जूझे जिससे वहां की हालत और ज्यादा बिगड़ गई. अप्रैल, साल 2019 में तत्कालीन ओमर अल बशीर की सरकार गिरने के बाद से साउथ सूडान नरक समान होता चला गया.
साल 2022 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, 70 फीसदी सूडान की जनता ऐसी है जो भूखमरी की कगार पर है. देश में एक तो अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर है, दूसरा कोरोना के प्रभाव ने भी चीजें बिगाड़ दी और बेरोजगारी धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंच गई.
आखिर कैसे हुई साउथ सूडान की इतनी बुरी हालत?

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