
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग की तैयारी... जानें देश में अब तक कहां-कहां हो चुकी नकली बादलों से असली बारिश
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दिल्ली में अगर नकली बादलों से असली बारिश कराई जाएगी तो यह पहली बार नहीं होगा. भारत में 1951 से लेकर अब तक कई बार ये काम हो चुका है. पूर्व केजरीवाल सरकार ने भी कृत्रिम बारिश का प्लान तैयार किया था, हालांकि उसे लागू नहीं किया जा सका था.
दिल्ली में सर्दियों की शुरुआत होते ही प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ने लगा है. गुरुवार सुबह शहर में वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रही, जबकि आनंद विहार गंभीर श्रेणी में रही। दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता और भी खराब हो गई है और हवा की धीमी गति ने स्थिति और बदतर बना दी है।
ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण से निपटने के लिए अब कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) का सहारा लिया जाएगा. क्लाउड सीडिंग को अंजाम देने वाला सेसना का विशेष एयरक्राफ्ट कानपुर से मेरठ के लिए रवाना हो चुका है. सूत्रों के अनुसार, बादलों की अनुकूल स्थिति को देखते हुए, कल शुक्रवार से लेकर अगले तीन दिनों (72 घंटों) में कभी भी क्लाउड सीडिंग की जा सकती है.
हालांकि भारत में नकली बादलों से असली बारिश कराना कोई नई बात नहीं है. आर्टिफिशियल तरीके से बारिश कराने का प्रयोग 1951 से अब तक कई बार किया जा चुका है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि करते हैं. वहीं दुनिया में पहली बार 1946 में अमेरिका ने कृत्रिम बारिश का प्रयोग किया था.
भारत में कब-कब हुई कृत्रिम बारिश
1951 में पश्चिमी घाट, 2003-2004-2019 में कर्नाटक में, 2004 में महाराष्ट्र में, 2008 में आंध्र प्रदेश और तीन बार तमिलनाडु में कृत्रिम बारिश कराई जा चुकी है. इन राज्यों में सूखे से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराई गई थी. यानी दिल्ली-एनसीआर में होने वाली आर्टिफिशियल बारिश का एक्सपेरिमेंट देश में पहली बार नहीं होगा.
भारत में सबसे पहले कृत्रिम बारिश की कोशिश 1951 में टाटा फर्म द्वारा पश्चिमी घाट पर जमीन आधारित सिल्वर आयोडाइड जनरेटर का इस्तेमाल करके किया गया था.

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