
दिल्ली दंगाः HC ने कहा- जिससे आपको चोट लगी है, वह गोली नहीं, बल्कि पत्थर था; दो आरोपियों को दी जमानत
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आरोपियों के वकील प्रीतीश सभरवाल ने कहा कि उसके क्लाइंट के हाथ में पिस्तौल तो थी, लेकिन वह हवा में गोलियां चला रहा था और शिकायतकर्ता या किसी अन्य को गोली का जख्म नहीं लगा.
नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में दंगे के दौरान गोलियां चलाने के दो आरोपियों को जमानत दे दी और कहा कि जिसे चोट लगी है, वह गोली नहीं, बल्कि पत्थर की वजह से लगी है. उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे दोनों आरोपियों को 50-50 हजार रूपये के निजी बांड और उतनी ही राशि के मुचलका बांड भरने पर नियमित जमानत देना सही लगता है. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा, ‘‘पेश की गई सामग्री और इस तथ्य पर आजम को चोट गोली से नहीं, बल्कि पत्थर की वजह से लगी है, पर विचार करने पर इस अदालत को याचिकाकर्ताओं को नियमित जमानत सही लगती है.’’
दोनों पक्षों के बीच पथराव एवं गोलीबारी चल रही थी उच्च न्यायालय ने दोनों ही आरोपियों को संबंधित अदालत की अनुमति के बगैर देश से बाहर नहीं जाने और पता एवं मोबाइल फोन नंबर बदलने पर इसकी सूचना अदालत को देने का निर्देश दिया. अभियोजन पक्ष के मुताबिक शिवा और नितिन पर दंगा करने का इल्जाम है और दोनों घातक हथियारों से लैस थे और उन्होंने भादंसं एवं हथियार कानून के तहत हत्या करने की कोशिश की. आरोपियों के वकील प्रीतीश सभरवाल ने कहा कि घटना स्थल ब्रह्मपुरी में दोनों पक्षों के बीच पथराव एवं गोलीबारी चल रही थी और सीसीटीवी फुटेज में तो नितिन की पहचान भी नहीं की जा सकी है. सभरवाल ने कहा कि जहां तक शिवा का सवाल है तो उसके हाथ में पिस्तौल तो थी, लेकिन वह हवा में गोलियां चला रहा था और शिकायतकर्ता या किसी अन्य को गोली का जख्म नहीं लगा.

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