
तिब्बत पर अमेरिका ने ऐसा क्या किया जिससे चिढ़ गया चीन? समझें- आखिर क्या है ये सदियों पुराना विवाद
AajTak
चीन और अमेरिका के बीच अब तिब्बत को लेकर टेंशन बढ़ता दिख रहा है. तिब्बत को लेकर अमेरिका ने एक नया बिल पास किया है और राष्ट्रपति बाइडेन इस पर जल्द ही साइन करने वाले हैं. वहीं, चीन ने अमेरिका से ऐसा न करने को कहा है. ऐसे में समझते हैं कि तिब्बत पर अमेरिका का बिल क्या है? और चीन और तिब्बत के बीच विवाद क्या है?
अमेरिकी संसद में तिब्बत को लेकर एक बिल पास किया है. राष्ट्रपति जो बाइडेन जल्द ही इस बिल पर साइन करने वाले हैं. चीन इस पर चिढ़ गया है और उसने बिल पर साइन न करने की अपील की है. वहीं, व्हाइट हाउस का कहना है कि अमेरिकियों के लिए जो सही होगा, राष्ट्रपति बाइडेन वही करेंगे.
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में ये बिल 12 जून को पास हो गया था. बिल के समर्थन में 391 और विरोध में 26 वोट पड़े थे. इसके बाद सीनेट से भी ये पास हो गया था.
इस बिल का मकसद तिब्बत के विवाद को सुलझाना है. बिल में तिब्बत की स्थिति और विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की बात कही गई है. इसके साथ ही चीन से तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से फिर से बातचीत शुरू करने का भी कहा गया है.
इस बीच अमेरिका की फॉरेन अफेयर्स कमेटी के चेयरमैन माइकल मैकॉल भारत आए हैं. वो इस दौरान दलाई लामा से भी मुलाकात करेंगे. इस दौरान इस बिल पर भी चर्चा होगी. इस डेलिगेशन में अमेरिकी संसद की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी भी शामिल हैं. नैंसी पेलोसी वही हैं, जिनके ताइवान दौरे से चीन चिढ़ गया था और जंग की धमकी दी थी.
क्या है इस बिल में?
'रिजॉल्व तिब्बत एक्ट' नाम का ये बिल तिब्बत पर चीनी कब्जे को नकारता है. बिल कहता है कि अमेरिका, तिब्बत के साथ खड़ा है और चीन के साथ चल रहे उसके विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में मदद करेगा.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.







