
ताइवान, ईरान, यूक्रेन... बाइडेन-जिनपिंग के बीच 4 घंटे चली बैठक में क्या क्या बात हुई?
AajTak
शी जिनपिंग और जो बाइडेन के बीच बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों, ईरान, मध्य पूर्व, यूक्रेन, ताइवान, इंडो-पैसिफिक, आर्थिक मुद्दों, AI, ड्रग्स और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रीय और प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भी चर्ची की.
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका के दौरे पर हैं. यहां उन्होंने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन के साथ मुलाकात की. चार घंटे तक चली बैठक में दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों के बीच मतभेद नियंत्रण में बने रहें और रिश्ते पटरी से न उतरें. जो बाइडेन और शी जिनपिंग के बीच यह मुलाकात एक साल से अधिक समय के बाद हुई. सैन फ्रांसिस्को से 40 किलोमीटर दूर फिलोली मेंशन एस्टेट में हुई बैठक में द्विपक्षीय वार्ता हुई. इसके अलावा दोनों नेताओं ने साथ में लंच किया. दोनों इस दौरान बगीचे में साथ में टहलते भी नजर आए.
शी जिनपिंग और बाइडेन के बीच हुई मुलाकात के दौरान दोनों देशों का प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद रहा. इस दौरान दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि टकराव के बजाय आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना दोनों देशों के हित में है.
किन किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
एक अधिकारी के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच खुली और स्पष्ट चर्चाएं हुईं. इस दौरान बाइडेन ने अपने विचारों और चिंताओं को सीधे शी जिनपिंग के सामने रखा. बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, ईरान, मध्य पूर्व, यूक्रेन, ताइवान, इंडो-पैसिफिक, आर्थिक मुद्दों, AI, ड्रग्स और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रीय और प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भी चर्ची की. - बैठक के दौरान चीन अमेरिका में अवैध दवा व्यापार में शामिल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर सहमत हुआ. दोनों नेता रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन और उनके चीनी समकक्ष के नेतृत्व में सैन्य-से-सैन्य स्तर की वार्ता फिर से शुरू करने पर भी सहमत हुए.
- दोनों नेता AI के मुद्दे पर बातचीत करने पर भी सहमत हुए. अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति शी ने स्पष्ट किया कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध स्थिर करना चाहते हैं. उधर, बाइडेन ने सीधे शब्दों में जिनपिंग से कहा कि चीन ने अमेरिकी कंपनियों को समान अवसर प्रदान नहीं किया.
- ताइवान के मुद्दे पर भी दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक चर्चा हुई. इस दौरान जिनपिंग ने इसे अमेरिका-चीन संबंधों के लिए सबसे खतरनाक पहलू बताया. जबकि बाइडेन ने कहा कि अमेरिका यथास्थिति में विश्वास करता है. जिनपिंग ने कहा कि शांति अच्छी है, लेकिन कुछ बिंदु पर उन्हें मुद्दे के समाधान की ओर बढ़ने की जरूरत है.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







