डॉ. धनीराम बरुआ जिन्हें 25 साल पहले इंसान के शरीर में सू्अर का दिल लगाने पर हुई थी जेल
BBC
इस सप्ताह पहली बार दुनिया में किसी शख़्स के शरीर में सूअर का दिल लगाने की ख़बर आई. भारत में भी 25 साल पहले ऐसी एक कोशिश हुई थी.
"मैंने 25 साल पहले इंसान के शरीर में सूअर का दिल लगाया था. उस दौरान अपने शोध के आधार पर मैंने दुनिया को यह बात बताई थी कि सुअर का प्रत्येक अंग इंसान के शरीर में लगाया जा सकता है. लेकिन मुझे किसी ने सपोर्ट नहीं किया और यहां की सरकार ने मुझे जेल में डाल दिया. अब इतने लंबे समय बाद अमेरिकी चिकित्सकों द्वारा सूअर के हार्ट ट्रांसप्लांट की बात को दुनिया एक सफल प्रयोग के तौर पर देख रही है. जबकि यह शोध और प्रयोग सबसे पहले मैंने किया था." - 71 साल के ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर धनी राम बरुआ यह कहते हुए गुस्से में जोर-जोर से टेबल पर मुक्का मारने और चीखने लगते है.
साल 2016 में हुए एक ब्रेन स्ट्रोक के बाद डा.धनीराम बरुआ अब स्पष्ट तरीके से बोल नहीं पाते है. उनके साथ सालों से काम करने वाली डालिमी बरुआ उनकी इस अस्पष्ट बोली को समझती है और वह उनके ग़ुस्से का कारण उनके शोध को लेकर हुए अत्याचार को बताती है.
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दरअसल हाल ही में अमेरिकी चिकित्सकों की एक टीम ने अनुवांशिक रूप से परिवर्तित सूअर का हार्ट ट्रांसप्लांट किया है. अर्थात सर्जरी की दुनिया के इतिहास में पहली बार इंसान को सूअर का दिल लगाया गया है.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह की सर्जरी दुनिया में पहली बार हुई है और यह दावा किया गया है कि 57 साल के डेविड बेनेट नामक जिस व्यक्ति को सुअर का दिल लगाया गया है वे अब स्वस्थ हो रहे हैं.