
झूठा निकला चीन का नक्शा! अक्साई चिन पर भारत के दावे के ये रहे सबूत
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चीन के एक नए नक्शे को लेकर बवाल जारी है. इस नक्शे में भारत के अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को अपना इलाका बताया है. चीन हमेशा से अक्साई चिन पर दावा करता रहा है. लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि अक्साई चिन हमेशा से भारत का रहा है.
भारत के दो पड़ोसियों- चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्ते हमेशा से तनाव भरे रहे हैं. दोनों ही पड़ोसियों के साथ अब तक सीमाएं भी तय नहीं हुईं हैं. हाल ही में चीन ने एक नया नक्शा जारी किया है. वो हर साल नक्शे जारी करता है. इस नक्शे में चीन ने अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को भी अपना हिस्सा बताया है. अक्साई चिन पर चीन अक्सर दावा करता है. लेकिन इस दावे में कितना सच है? इसका पता लगाना भी जरूरी है. इंडिया टुडे ने पुराने नक्शों और तथ्यों के जरिए इस दावे का सच पता लगाने की कोशिश की है.
ऐसा ही एक दस्तावेज छह दशक पुराना है. 1961 में उस समय के विदेश सचिव आरके नेहरू ने चीन के अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी. इसके बाद उन्होंने राज्यसभा में कहा था कि चीनी अधिकारियों से बात करने का मतलब ये नहीं है कि वो उन्हें कुछ ऑफर कर रहे हैं या कोई कमजोरी दिखा रहे हैं.
उन्होंने कहा था, 'हमें इसे एक मौजूदा समस्या की बजाय सतत समस्या के रूप में देखना चाहिए. इस तात्कालीक समस्या के कुछ ऐसे बुनियादी मुद्दे हो सकते हैं, जो भारत और चीन के बीच हमेशा तनाव पैदा करेंगे और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा. उस स्थिति से निपटने के लिए हमें बहुत कुछ करना होगा.'
उन्होंने कहा था, 'अक्साई चिन का चैप्टर खोलने से पहले, हमें पुरानी कहावत के साथ आगे बढ़ना होगा कि हमारी असली सीमाएं तिब्बत के साथ लगती थीं, न कि चीन के साथ. लेकिन 1951 में तिब्बत पर चीन का कब्जा हो जाने के बाद स्थिति उलट-पुलट हो गई हैं. हालांकि, कोई भी अतीत के पन्नों को तभी पलटना पसंद करेगा, जब वो उसके अनुरूप हों.'
तीन सीमाएं...
अंग्रेजों ने 1855 में ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिक सर्वे ऑफ इंडिया की शुरुआत की. इसने कई दशकों तक लद्दाख की सीमाओं को तय करने वाली तीन लाइनें खींची.

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