
...जो आपको खिलाता है, वही कंट्रोल करता है! 37 साल का युवा राष्ट्रपति जो पश्चिमी देशों के उपनिवेशवाद के खिलाफ बना अफ्रीकी राष्ट्रवाद का चेहरा
AajTak
सितंबर 2022 की एक ठंडी सुबह, बुर्किना फासो की राजधानी वागाडुगु में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजी. 34 वर्षीय कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे ने अपने साथी सैनिकों के साथ मिलकर तख्तापलट कर दिया. ये घटना अफ्रीका में नव उपनिवेशवाद के खिलाफ विद्रोह की एक नई लहर पैदा करने वाला था. इस 34 साल के लड़के ने सदियों से कुचली गई अफ्रीकी अस्मिता को स्वर दिया.
"जब मैं बच्चा था तो टीवी स्क्रीन पर मुझे जो अफ्रीका दिखाया गया वहां हर जगह एक ही तस्वीर थी. भिनभिनाते मक्खियों के साथ बच्चे, सूखी जमीन, हथियार, मृत्यु... उन्होंने कहा- यही अफ्रीका है. और हमने इस पर विश्वास किया. हम स्वंय पर शर्मिंदा थे. हम अपनी जमीन को लेकर, अपने लोगों को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते थे."
"लेकिन मैं बड़ा हुआ. मैंने रिसर्च किया, मैंने प्रश्न किया. और मैं समझा कि जो अफ्रीका आपने दिखाया था वास्तविक नहीं था. जो कहानी आपने हमें बताई वो झूठ थी. जो भाग्य आपने हमारे ऊपर थोपने की कोशिश की वो स्क्रिप्टेड था. जिसे आपने लिखा था. सालों से आपने अफ्रीका को कैसे दिखाया, इसे आपने अपने दर्शकों को कैसे बेचा. "
"जैसा कि हम वैसे लोग थे जिन्हें पास मानवता का कोई हिस्सा नहीं बचा था. जैसे कि हम जंगली-वहशी थे जो कि सभ्यता की रेस में छोड़ दिए गए थे. जैसे कि हम वे लोग थे जो आपका इंतजार कर थे ताकि आप हमें बचा सकें."
"हर दिन, हर घंटे, हर मिनट एक ही कहानी आपके स्क्रीन पर चल रही थी- भूख, युद्ध, बीमारी, भ्रष्टाचार, आतंक, बदहवासी, ये कुछ ऐसे शब्द हैं जब अफ्रीका की चर्चा होती है तो दिमाग में आते हैं. आपकी अफ्रीका डिक्शनरी में कोई और शब्द नहीं हैं."
"कोई उम्मीद नहीं, कोई सफलता नहीं, कोई विकास नहीं, कोई प्रतिरोध नहीं, कोई गर्व नहीं, कोई स्वाभिमान नहीं, कोई विजय नहीं..."
विद्रोह, बगावत और कोफ्त से भरे ये शब्द एक युवा अफ्रीकी सैन्य कमांडर के हैं. जो तख्तापलट कर अपने देश के राष्ट्रपति बन चुके थे. नाम था इब्राहिम ट्रोरे. तब 34 साल के रहे इब्राहिम ट्रोरे अफ्रीकी देश बुर्किना फासो के राष्ट्रपति हैं. उनका ये भाषण भाषण न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित 78वें सत्र के दौरान दिया गया था.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.







