क्या हमास के आतंकियों ने ड्रग्स के बूते मचाया इतना कत्लेआम, क्यों यहूदियों को गैस चैंबर में मारने से पहले हिटलर के सैनिक करते थे नशा?
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इजरायल पर अटैक से पहले हमास के लड़ाकों ने कैप्टागन नाम का ड्रग लिया था. इससे वे लगातार मासूम लोगों की हत्याएं करते रहे. इजरायली मीडिया ने दावा किया कि मारे गए आतंकियों की जेब से काफी सारा सिंथेटिक ड्रग मिला. लड़ाई में ड्रग्स का इस्तेमाल नया नहीं. ISIS के मिलिटेंट भी हर वक्त हाई रहा रहते थे. यहां तक कि कैप्टागन को 'जिहादियों का ड्रग' कहा जाने लगा.
फिलिस्तीन और इजरायल दोनों तरफ से तबाही की खबरें आ रही हैं. इस बीच इजरायली मीडिया ने दावा किया कि संघर्ष में मारे गए मिलिटेंट्स की जेब से कैप्टागन की गोलियां मिलीं. गरीबों की कोकीन कहलाने वाले इस ड्रग को लेने के बाद कोई भी लगातार जाग सकता है. इससे वो अलर्ट रहता है, और भूख-प्यास भी नहीं लगती. यूरोप ने इसे डिप्रेशन जैसी बीमारियों के लिए बनाया था. हाईली एडिक्टिव होने की वजह से जल्द ही इसपर बैन लग गया.
इसकी अवैध मैन्युफेक्चरिंग अब भी हो रही है. सिविल वॉर के दौरान सीरियाई मिलिटेंट्स ने इसका खासा इस्तेमाल किया. वहां सालों तक लोग आपस में ही भिड़ते रहे. खाने-पीने की सप्लाई रुकी हुई थी. ऐसे में लड़ाके ड्रग्स लेकर लड़ते रहे.
बाद में मिडिल ईस्ट के करीब-करीब सारे देशों में इसकी सप्लाई होने लगी. यहां तक कि नशे के कारोबार को लेकर सख्ती बरतने वाले सऊदी के रियाद से बीते साल ही कैप्टागन की काफी बड़ी खेप जब्त की गई. यहां बता दें कि नशे के लिए सऊदी समेत कई देशों में कड़ी सजा है.
ISIS के बारे में भी कहा जाता था कि उसमें नशे का इस्तेमाल आम था. वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया था कि सीरिया में हो रही लड़ाई असल में ड्रग्स की वजह से थी. कैप्टागन लेकर आतंकी खुद को सुपरह्यूमन मानने लगते हैं. वे नशे में ही लगातार लड़ते-भिड़ते रहते हैं और बच्चों की हत्याओं से भी नहीं झिझकते.
दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार के लिए जिम्मेदार हिटलर और उसकी सेना के बारे में लगातार कहा गया कि वे ड्रग्स लेकर ये काम करते थे. यहूदियों को गैस चैंबरों में बंद करके मारा जाना सामान्य इंसानों के लिए मुमकिन ही नहीं था. ऐसे काम करते हुए किसी अफसर या सैनिक के दिल में दया या ग्लानि न आए, इसके लिए हिटलर सबको नशा करवाया करता.
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