
कोरोना काल बीतने के बाद अब कैसे हैं रोजगार-GDP पर इकोनॉमी के संकेत? ये दो बदलाव अहम
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देश में बेरोजगारी दर घटने लगी है. लगातार चार तिमाही से बेरोजगारी दर घट रही है और सिंगल डिजिट में बनी हुई है. हाल ही में आए पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक, अप्रैल से जून तिमाही में देश में बेरोजगारी दर 7.6% रही, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में बेरोजगाबेरी दर 12.6% रही थी.
क्या देश अब कोरोना महामारी से उबरने लगा है? ये सवाल इसलिए क्योंकि दो आंकड़े हैं, जो इस बात की गवाही देते हैं कि भारत चुनौतियों से निकलकर आगे आ गया है.
बुधवार को दो आंकड़े आए. पहला जीडीपी से जुड़ा था. अप्रैल से जून तिमाही में देश में जीडीपी ग्रोथ रेट 13.5% रही. ये अब तक दर्ज जीडीपी में दूसरी सबसे ऊंची ग्रोथ रेट है. इससे पहले पिछले साल अप्रैल से जून तिमाही में ही जीडीपी ग्रोथ रेट 20.1% रही थी. हालांकि, इसकी वजह कोविड की वजह से 2020-21 की पहली तिमाही में आई 23.8% की गिरावट थी.
दूसरा आंकड़ा बेरोजगारी दर को लेकर है. बुधवार को ही पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) ने बेरोजगारी पर तिमाही आंकड़े जारी किए. इसके मुताबिक, देश में शहरी इलाकों में अप्रैल से जून तिमाही में बेरोजगारी दर घटकर 7.6% पर आ गई. वहीं, पिछले साल इसी तिमाही में बेरोजगारी दर 12.6% थी. जबकि, अप्रैल से जून 2020 में ये दर 20.9% थी. ये लगातार चौथी तिमाही है, जब बेरोजगारी दर सिंगल डिजिट में रही है.
देश में बेरोजगारी से हालात किस तरह से सुधर रहे हैं? इसे तीन आंकड़ों समझ सकते हैं. पहला- लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट यानी LFPR, दूसरा- वर्कर पॉपुलेशन रेशो यानी WPR और तीसरा- बेरोजगारी दर यानी UR.
LFPR का मतलब होता है कि कुल आबादी में से ऐसे कितने लोग हैं, जो काम की तलाश में हैं या काम करने के लिए उपलब्ध हैं. WPR का मतलब होता है कि कुल आबादी में से कितनों के पास रोजगार है. वहीं, बेरोजगारी दर का मतलब होता है कि लेबर फोर्स में शामिल कितने लोग बेरोजगार हैं.
लेबर फोर्स और वर्कर पॉपुलेशन का बढ़ना और बेरोजगारी दर का घटना अच्छा माना जाता है. और पिछली पांच तिमाही से यही हो रहा है. लेबर फोर्स और वर्कर पॉपुलेशन बढ़ रही है, जबकि बेरोजगारी दर घट रही है.

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