
कोटा सिस्टम बस बहाना? इन 3 वजहों से बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ फूट पड़ा गुस्सा
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भारत का पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश कई महीनों से हिंसा की आग में जल रहा है. प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश तक छोड़ना पड़ गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बांग्लादेश में ऐसा क्या हुआ कि लोगों का गुस्सा इतना फूट गया?
बांग्लादेश कई महीनों से जल रहा है. वहां हिंसा की आग इतनी फैली कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ गया. सिर्फ इतने से ही बात नहीं बनी. हालात इतने बिगड़ चुके थे कि उन्होंने इस्तीफा देने के बाद देश तक छोड़ना पड़ा.
लेकिन इसकी वजह क्या रही? दरअसल, बांग्लादेशियों की कमाई इतनी भी नहीं है कि अच्छी तरह से जिंदगी का गुजर-बसर हो सके. सरकारी सिस्टम में कोटा सिस्टम से ये गुस्सा और फूट गया. सरकारी नौकरियों में फ्रीडम फाइटर्स और उनके बच्चों के लिए 30% का कोटा था. इसने आग में घी डालने का काम किया, क्योंकि जनता कई साल से बेरोजगारी और कम न्यूनतम वेतन से जूझ रही थी.
बुरुंडी और रवांडा जैसे कुछ मुल्कों को छोड़ दिया जाए, तो बांग्लादेश में कामगारों को सबसे कम वेतन मिलता है.
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) के मुताबिक, जहां 2022 में 110 देशों का औसत न्यूनतम वेतन 719 डॉलर था, वहीं बांग्लादेश में न्यूनतम वेतन केवल 45 डॉलर था.
चीन और यूरोपियन यूनियन के बाद दुनिया में कपड़ों का सबसे बड़ा सप्लायर बांग्लादेश है. बांग्लादेश की ज्यादातर गारमेंट इंडस्ट्री राजधानी ढाका और उसके आसपास ही है.
2023 की एंकर रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट बताती है कि 2016 में ढाका के एक परिवार की औसत कमाई 16,450 टका थी, जबकि परिवार को अपना खर्च चलाने के लिए 25,990 टका की जरूरत थी. 2023 में कमाई बढ़कर 25,462 टका (लगभग 18,200 रुपये) हो गई, लेकिन परिवार का खर्च भी बढ़कर 40,228 टका (लगभग 28,800 रुपये) हो गया. यानी कि बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए जितनी कमाई चाहिए, बांग्लादेशी उससे भी 37% कम कमाते हैं. ढाका के आसपास के शहरों में भी यही हालात हैं.

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