
कैसे आलम-ए-इस्लाम की अज़ीम तारीख बन गई कर्बला की जंग, जानिए इससे जुड़ी कहानी
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इस्लामिक जानकार बताते है कि इंसानियत और इंसाफ को जिंदा रखने के लिए इमाम हुसैन शहीद हुए, इमाम हुसैन सहित 72 लोगों को शहीद कर दिया गया. अपने हजारों फौजियों की ताकत के बावजूद यजीद, इमाम हुसैन और उनके साथियों को अपने सामने नहीं झुका सका.
सैयद उवैस अली/लखनऊ: मुहर्रम की 9 और 10 तारीख को ताजिए और जुलूस निकालकर इमाम हुसैन अ. स. की शहादत को याद किया जाता है, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते ताजियादारी और जुलूस निकालने पर पाबंदी है जिसके मद्देनजर हुकूमत और प्रशासन की तरफ से गाइडलाइन जारी कर जरूरी दिशानिर्देश दिए गए है. इसी कड़ी में पुलिस प्रशासन ने भी अपील की है कि वह शासन द्वारा जारी निर्देशो का पालन करे और सादगी के साथ गम-ए-हुसैन को मनाए. इस्लामिक जानकार बताते है कि इंसानियत और इंसाफ को जिंदा रखने के लिए इमाम हुसैन शहीद हुए, इमाम हुसैन सहित 72 लोगों को शहीद कर दिया गया. अपने हजारों फौजियों की ताकत के बावजूद यजीद, इमाम हुसैन और उनके साथियों को अपने सामने नहीं झुका सका. दीन के इन मतवालों ने झूठ के आगे सर झुकाने के बजाय अपने सर को कटाना बेहतर समझा और वह लड़ाई आलम-ए-इस्लाम की एक तारीख बन गई. उन्होंने बताया मोहर्रम की 10 तारीख जिसे आशूरा का दिन कहा जाता है, इस दिन दुनियाभर में मुसलमान इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन की इराक के कर्बला में हुई शहादत को याद करते है. उन्होंने बताया की यह महीना कुर्बानी, गमखारी और भाईचारगी का महीना है. क्योंकि हजरत इमाम हुसैन अ. स. ने अपनी कुर्बानी देकर पुरी इंसानियत को यह पैगाम दिया है कि अपने हक को माफ करने वाले बनो और दुसरों का हक देने वाले बनो.
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Three new military bases: सिलिगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है. अब पूरी तरह एक मजबूत रणनीतिक किले में बदलने जा रहा है. सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका उत्तर-पूर्वी भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है. इसलिए इसकी सुरक्षा भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसी वजह से यहां तीन नए सैन्य स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं. जो भारत की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत हैं.

Indigenous Wamana AUV: पुणे की स्टार्टअप कंपनी सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने बड़ी जानकारी दी है. स्वदेशी वामना ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV) भारतीय नौसेना के सभी ट्रायल सफलतापूर्वक पास कर चुका है. कंपनी के फाउंडर कैप्टन निखिल पराशर ने बताया कि वामना का मूल्यांकन पूरा हो गया है. आने वाले महीनों में इसे नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा.









