किसी फॉर्मूले पर राजी नहीं शिवकुमार, क्या इन तीन राज्यों से लिया सबक? पढ़ें कर्नाटक CM पर कहां फंसा है पेच
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कर्नाटक की ताजा स्थिति को देखकर ताजा सवाल यह है कि आखिर कोई हल क्यों नहीं निकल पा रहा है? क्यों कांग्रेस पार्टी में अब तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना पा रही है? तो इसका जवाब है कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही नेता सीएम बनना चाहते हैं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री को चुनने की कवायद अभी जारी है. दिल्ली में बैठकों का दौर चल रहा है. बुधवार को जो तस्वीरें सामने आईं उनमें सीएम पद के दोनों दावेदार (डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया) राहुल गांधी के साथ नजर आए. हालत ये है कि लोग अब सोशल मीडिया पर तस्वीरों में नेताओं के चेहरे देखकर अंदाजा लगा रहे हैं कि मुलाकात में कौन खुश दिखा और किसके चेहरे पर मायूसी है. लोग यह भी खोज रहे हैं कि किसके कंधे पर राहुल का हाथ है या राहुल ने किसकी पीठ पर हाथ रखा है. राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान कौन फूलों का गुलदस्ता लेकर आया तो कौन बिना फूल ही मुलाकात करने आया. कौन हंस रहा है. किसके माथे पर तनाव है. लोग सोशल मीडिया पर इन्हीं तस्वीरों में 'बूझो तो जानें सीएम' कौन खेल रहे हैं.
इन तस्वीरों के बीच एक वीडियो कर्नाटक के प्रभारी रहे रणदीप सुरजेवाला की भी सामने आई, जिसमें कि उन्होंने कहा कि जल्द ही सीएम के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा. इसमें 2-3 दिन का वक्त लग सकता है. सुरजेवाला ने कहा है कि इस समय पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे विचार-विमर्श कर रहे हैं. जब भी कांग्रेस कोई फैसला करेगी हम सूचित करेंगे. अगले 48-72 घंटों में, हमारे पास कर्नाटक में एक नया मंत्रिमंडल होगा.
अभी कितना वक्त और लगेगा?
ऐसे में सवाल है कि आखिर कोई हल क्यों नहीं निकल पा रहा है? क्यों कांग्रेस पार्टी में अब तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना पा रही है? तो इसका जवाब है कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही नेता सीएम बनना चाहते हैं. आमतौर पर ऐसी स्थिति में आलाकमान जिसे तय कर देता है वो नेता सीएम बन जाता है. लेकिन कांग्रेस पार्टी का इतिहास कुछ ऐसा रहा है कि उनके नेता बागी ही हुए हैं. इसे उदाहरण से समझें...
MP में बागी हुए सिंधिया
जब मध्य प्रदेश के नतीजे आए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ दोनों सीएम पद के दावेदार थे. पार्टी आलाकमान ने समझा-बुझाकर कमलनाथ को सीएम बनाया और सिंधिया को आश्वासन मिला. कुछ वक्त बाद सिंधिया का सब्र जवाब देने लगा और उन्होंने बगावत कर दी. पार्टी नेतृत्व ने उस वक्त भी डैमेज कंट्रोल करने की बजाय सत्ता को जाने देना उचित समझा लेकिन सिंधिया को सीएम बनाने पर तैयार नहीं हुए.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि मणिपुर पिछले 1 साल से शांति की प्रतीक्षा कर रहा है. भागवत ने कहा कि संसद में विभिन्न मतों के बीच सहमति बनाना कठिन है, लेकिन यह आवश्यक है. उन्होंने समाज में फैल रही असत्य बातों और कलह पर भी चिंता जताई. मणिपुर में शांति लाने के लिए प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया.