
'कब कहां से मिसाइल आ जाए', जानें PM मोदी की यूक्रेन यात्रा पर क्या बोले कीव में रहने वाले भारतीय छात्र
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पिछले लंबे समय से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. दोनों देशों के लाखों लोग मारे जा चुके हैं और कई शहर तबाह हो चुके हैं. इस सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा एक युद्धविराम की किरण के रूप में देखी जा रही है. यूक्रेन में रहने वाले भारतीय लोगों का कहना है कि पीएम मोदी की पहल से दोनों देशों के बीच युद्धविराम होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 21 अगस्त से तीन दिवसीय विदेश यात्रा पर रहेंगे. 21 और 22 अगस्त को पीएम पौलेंड दौरे पर रहेंगे और फिर 23 अगस्त को युद्धग्रस्त यूक्रेन की राजधानी कीव दौरे पर जाएंगे. 45 वर्षों में यह पहली बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री पोलैंड की यात्रा पर जा रहा है. वहीं यूक्रेन के इतिहास में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री कीव जा रहा है. इस यात्रा को लेकर यहां रहने वाले भारतीय समुदाय के लोग काफी उत्साहित हैं।
दरअसल, पिछले लंबे समय से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. दोनों देशों के लाखों लोग मारे जा चुके हैं और कई शहर तबाह हो चुके हैं. इस सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा एक युद्धविराम की किरण के रूप में देखी जा रही है. यूक्रेन में रहने वाले भारतीय लोगों का कहना है कि पीएम मोदी की पहल से दोनों देशों के बीच युद्धविराम होगा. कारण, पिछले महीने यानी जुलाई में पीएम मोदी रूस दौरे पर गए थे.
यहां देखें मेडिकल छात्रों से खास बातचीत का वीडियो-
बता दें कि युद्ध शुरू होने तक करीब 25 हजार भारतीय मूल के लोग काम कर रहे थे औऱ पढ़ रहे थे. लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद करीब 18 हजार भारतीयों को भारत लौटना पड़ा था. इस क्रम में आजतक ने यूक्रेन के अस्पतालों में काम करने वाले और पढ़ने वाले भारतीय मूल के मेडिकल छात्रों से बात की. इस दौरान उन्होंने उन दिक्कतों के बारे में भी बात की जो युद्ध के चलते उनके सामने हैं. इस क्रम में छठी साल की मेडिकल स्टूडेंट डॉ आरती ने बताया कि कब कहां से मिसाइल आ जाए, कुछ नहीं पता. साथ ही जब से युद्ध शुरू हुआ है, तब से पावर कट जैसी चीजें भी हो रही हैं. युद्ध को लेकर लगातार तनाव बना रहता है.
एक अन्य महिला डॉक्टर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा को लेकर हम लोग बहुत उत्साहित हैं. हम लोग यहां पढ़ने आए और हमारा अब आखिरी वर्ष पढ़ाई का बचा है. हम चाहते हैं कि कैसे भी एग्जाम दे दें. युद्ध के बीच हमेशा ये चिंता बनी रहती है कि फिर से स्थिति पहले जैसी न हो जाए और हमारी पढ़ाई प्रभावित न हो जाए.

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